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सराहना की लिए आपका आभार सीमा जी
आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी, शुरूआत में लघुकथा बनावटी प्रतीत हो रही थी लेकिन इसे सफल अंत में पूरी कथा में जान डाल दी है। बधाई स्वीकार करें।
सार्थक टिपण्णी के लिए आपका धन्यवाद आ० विनोद जी
वाह! बेहतरीन! भूतों के माध्यम से आतंकवाद पर करारा चोट!
सराहना के लिए आपका आभार आ० जवाहर लाल जी
आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी इस लघुकथा से मैं एक पाठक के तौर पर अत्यंत प्रभावित हुआ हूँ. हर तरह से समृद्ध इस कथा केलिए हार्दिक धन्यवाद एवं अशेष शुभकामनाएँ
आदरणीय सौरभ पांडे जी ,कथा पर आपके उत्साह वर्धन के लिए तहे दिल से आभारी हूँ
परिभाषा – ( लघुकथा )
सेना की भर्ती चल रही थी!हज़ारों नौजवान एकत्र हुए थे!कुछ भाग- दौड में रह गये ! कुछ लिखित - परीक्षा में अटक गये!गिने चुने तक़दीर वाले ही साक्षात्कार तक पहुंचे!
साक्षात्कार में हर एक नौजवान से एक सवाल अनिवार्य रूप से पूछा जा रहा था कि ,”सेना में क्यूं जाना चाहते हो”! सभी का लगभग एक जैसा ही सा उत्तर होता था, जो कि उन्हें, उनके प्रशिक्षकों द्वारा पहले से ही बताया गया था "देश प्रेम या देश सेवा"!
अगला प्रश्न होता था कि,"देश प्रेम की परिभाषा क्या है"! हर नवयुवक कोई ना कोई ऐसा जवाब दे देता , जो कि उसे पहले से ही रटाया हुआ होता था !
भोला सिंह का नाम पुकारा गया! उससे भी वही प्रश्न!पर उसका जवाब था ," श्रीमान जी, हमको भूख और गरीबी की परिभाषा आती है,जो कि हमारे परिवार में खूब पनप रही है, खाली पेट ये देश प्रेम और देश सेवा की बातें याद नहीं रहती”!
मौलिक व अप्रकाशित
खाली पेट ये देश प्रेम और देश सेवा की बातें याद नहीं रहती”!........वाह !!!! हकीकत तो यही है कि गरीबी और बेबसी इंसान की चैतन्यता को विलुप्तता के कगार पर ला छोडती है । अति सुंदर लेखनी आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।बधाई
बहुत खूब आ० तेजवीर सिंह जी I बहुत अच्छा तंज़ किया है - हार्दिक बधाई स्वीकारें I
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