For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-27 (विषय: भंवर)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले  26 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, वह सच में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-27 
विषय: "भंवर"
अवधि : 29-06-2017 से 30-00-2017 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12324

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत बहुत आभार आ राजेश कुमारी जी इस उत्साहवर्धन के लिए 

यही राजनीति होरही है सब दूर. बधाई आप को उम्दा चित्रण के लिए. आदरणीय विनय कुमार जी बधाई .

बहुत बहुत आभार आ ओमप्रकाश क्षत्रिय जी इस उत्साहवर्धन के लिए

Adarniya vinay sir namaste apki yeh laghukatha bahut achchhi hui hai jiske liye badhayi sweekaren .

बहुत बहुत आभार आ कल्पना भट्ट जी इस उत्साहवर्धन के लिए 

सियासी लाभ प्राप्त करने के लिए लोग तरह-तरह के मुखौटे पहनते हैं. ऐसे ही एक मुखौटे को उतारती हुई इस बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. विनय जी. सादर.

बहुत बहुत आभार आ महेंद्र कुमार जी 

सियासती दाँव पेंच , ये लोग कुछ भी स्वांग  कर सकते हैं    बहुत बधाई आपको इस सार्थक रचना पर आदरणीय  विनय कुमार जी 

बहुत बहुत आभार आ प्रतिभा पण्डे जी 

आदरणीय विनय कुमार जी   बढ़िया प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।

प्रदत्‍त विषय से न्‍याय करती इस प्रभावशाली व कसावट भरपूर लघुकथा का शीर्षक चयन व शिल्‍प श्‍लाघनीय है। सादर शुभकामनाएं

देवकीनन्दन

‘‘ मैं ने सदा ही आप लोगों की ही इच्छाओं के अनुकूल काम किया, आज जब मैं अपनी पसन्द की लड़की से विवाह करने की अनुमति चाहता हॅूं तो आपको क्यों आपत्ति है?‘‘
‘‘ इसलिए कि वह लड़की अपनी जाति की नहीं है, खानदान का भी तो ध्यान रखना होता है कि नहीं ?‘‘

‘‘ वह पांच साल तक मेरे साथ कालेज में पढ़ी है, हम एक दूसरे की रुचियों को अच्छी तरह समझते हैं और स्वभाव से पसंद करते हैं, तो क्या यह व्यर्थ है?‘‘
‘‘ अनेक लोगों की रुचियाॅं समान होती हैं, अनेक वर्षों से जान पहचान भी होती है तो क्या सभी से विवाह किया जा सकता है? क्या यह आजकल की चिथड़े जैसे कपड़ों वाली फैशन है ? ‘‘

‘‘ परन्तु यह कहाॅं तक उचित है कि आपने जिस परिवार की लड़की को पसंद किया है उसे एक घंटे में ही पसंद कर मैं अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय कर लॅूं?‘‘
‘‘ क्यों नहीं? हम तो उनके परिवार और खानदान को जन्म से जानते हैं, हमारे पुराने संबंध उस कुल से जुड़े हैं ।‘‘ पिता मूछों पर ताव देते बोले।

‘‘ आप बार बार कुल, खानदान के भंवरजाल में क्यों उलझा रहे हैं? सभी मनुष्य बंदरों के वंशज हैं यह प्रमाणित है ?..? .. माॅं ! मैं इसे नहीं मानता।‘‘
‘‘ अच्छा बेटा! जब तू अपने विचारों पर इतना दृढ़ है तो मेरी एक बात मान ले, योग्य ज्योतिषी से कुंडली का मिलान कराके देख ले यदि उत्तम मिलान होता होगा तो हम सहमत हो जाएंगे ‘‘ माॅं ने आंसू पोंछते हुए कहा।

‘‘ फिर दूसरा चक्कर? हम ज्योतिष को नहीं मानते, यह सब मूर्ख बनाने के धंधे हैं।‘‘
‘‘ अरे मूर्ख! यह तो सोच, जो लोग तेरी तारीफ खानदानी और संस्कारी पुत्र के रूप में करते नहीं थकते और उदाहरण देकर समाज में कहते हैं कि पुत्र हो तो देवकीनन्दन के पुत्र जैसा, वे क्या कहेंगे?‘‘ पिता क्रोध में आकर बोले।

‘‘ दूसरे क्या कहेंगे इसकी हम क्यों चिन्ता करें?‘‘

‘‘ हमारी सभ्यता और संस्कृति ?‘‘
‘‘ ये भी समय समय पर बदलती रही हैं, आप सबने अपने जमाने की संस्कृति और फैशन को अपनाया तो हमें अपने जमाने की फैशन और संस्कृति को अपनानें पर आपत्ति क्यों ??‘‘

मौलिक व अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service