आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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आदरणीय मोहन जी,
तस्वीरों में ही लोगों के रहने का दर्द बहुत बडा़ होता है. सुन्दर कथा
पंजाबी हिन्दी और पंजाबी भाषा का भरपूर उपयोग किया गया है. जो मन कि व्यथा को ज्यादा आत्मीय तरीके से संप्रेशित कर रहा है. ज्यादा समझने के लिये आदरणीय योगराज जी के विचार को आधार बनाना पडा़.
सादर.
बटवारे के दर्द से लिपटी तस्वीर ...न जाने कितनों के दिलों में अभी भी जीवित है प्रदत्त विषय के अनुरूप लिखी गई इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आ० मोहन बेगोवाल जी .
आ.मोहन जी दंगो का सुंदर चित्र खिंचा आपने, लेकिन कही कही पंजाबी भाषा के शब्द मेरे पढने के प्रवाह को रोक रहे थे हालाकि दुबारा पढने पर समझ गई.बधाई आपको
जनाब मोहन बेगोवाल साहिब ,सामाजिक कथानक पर आधारित बेहतर लघु कथा के लिए ... मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
बंटवारे का दर्द आज भी उससे प्रभावित परिवारों के दिलों में तेजी से टीसता है , बहुत सुन्दर कथा कही है आदरणीय मोहन बेगोवाल जी ,मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें
क्या 'कथा' आप कहना चाह रहे हैं मैं समझ नहीं सका !!!
आदरणीय मोहन बेगोवाल सर, बहुत बढ़िया लघुकथा है. हार्दिक बधाई. संवाद हिंदी में ही होतेतो कथा से जुड़ने में अधिक सहजता महसूस होती. सादर
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी सर, दंगो के दर्द का बहुत ही अच्छे तरीके से चित्रण करने का प्रयास करती इस रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें| एक छोटी सी गुजारिश है कि इस रचना के कुछ शब्द आदरणीय योगराज जी सर का कमेंट पढने के बाद समझ में आये, थोड़ी सी स्पष्टता की गुंजाईश है|
चौखट और तस्वीर
आज चारों तरफ नए राजा के राज्याभिषेक की गहमा गहमी थी I राज्य की प्रथा के अनुसार एक नई चौखट में' गुरुवर की तस्वीर
को जड़ा जाना था I गुरुवर वो महान व्यक्ति थे जिन्होंने इस राज्य की स्थापना की थी I तब एक चित्रकार ने गुरुवर का ये भव्य चित्र बनाया था I तब से कई राजा बदले थे इस राज्य में और हर राजा अपने ढंग की नई चौखट बनवाता था इस चित्र के लिए I आज के राज्याभिषेक की नई चौखट की चर्चा हो रही थी I
"महाराज i इतनी मेहनत से ये चौखट बनाई है I इस राज्य के इतिहास की सबसे सुन्दर चौखट है ये , पर महाराज ये तस्वीर ठीक से बैठ नहीं पा रही है इसमें "Iकारीगर ने हाथ जोड़ते हुए कहा I
"अरे वैसे भी कट फट गई है Iकैसे भी करके बिठा दे Iसब लोग चौखट की चमक दमक देखते हैं जिससे नए राजा की शान का पता पड़ता है Iतस्वीर को कौन देखता है ? वैसे भी इसके ऊपर ढेरों मालाएँ होंगी "I नए राजा का युवा मंत्री बोला I
"सुनो i ये जो उगता सूरज ,खेत और खुशहाल किसान वगेहरा दिख रहे हैं ना ,इन्हें काट कर अलग कर दो " I महाराज ने आदेश दिया I
"महाराज i ये तो गुरुवर का सपना था इस राज्य के लिए ,जो चित्रकार ने उकेरा है I आप इसे .."I वृद्ध मंत्री झिझकते हुए बोले I
"सपना आप हम पर छोड़ दें Iआप बस इतना ध्यान रखें कि वो अकाल पीड़ित गाँव के लोग आकर हमारे राज्याभिषेक में व्यवधान नहीं डालें "I महाराज गुर्राए I वृद्ध मंत्री ने बेबसी में ऑंखें झुका लीं I
"महाराज i ये हिस्सा काट कर भी बात नहीं बन रही "I
"ये जो नीचे लिखे नीति वाक्य हैं ,इन्हें भी काट दो I इतने वर्षों से सुनते आ रहे हैं ,सबको याद हैं ,"I महाराज ने फिर आदेश दिया I
वृद्ध मंत्री डबडबाई आँखों को छिपाने के लिए बाहर देखने लगे जहाँ मजदूर धूप में उत्सव की तैयारी में जुटे थे I
"हाँ महाराज ,अब पूरी तरह से समां गया है चित्र चौखट में ,पर .." कारीगर फिर झिझकने लगा I
" अब क्या हुआ ?" गुस्से में थे अब महाराज I
"महाराज i ये जो नक्काशीदार उभरे हुए कंगूरे हैं चौखट में , उनसे गुरुवर की आँखें ढक गयी हैं I"
"ये ठीक हुआ " गीली आँखों में हलकी सी मुस्कान लिए वृद्ध मंत्री बुदबुदाए I
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मौलिक व् अप्रकाशित
आपका हार्दिक आभार कथा को मान देने के लिए आदरणीय विजय जोशी जी
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