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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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शुक्रिया आ. महेंद्र जी

जनाब निलेश जी आदाब,ये ग़ज़ल भी ख़ूब रही,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

शुक्रिया आ. समर सर

जनाब निलेश नूर साहिब आदाब 

बहतरीन अशआर के लिए बधाईयां 

हर शैर भरपूर अंदाज़ में मुख़ातिब है 

शुक्रिया आ. मिर्ज़ा साहब

आदरणीय निलेश जी, मैं इसे ज़रूरी ग़ज़ल कहना चाहूँगा. इस ज़रूरी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई. 

शुक्रिया आ. अजय जी

मुनफ़रिद तेवर और कलेवर की यह ग़ज़ल भी बढ़िया हुई है भाई नीलेश नूर जी. शेअर दर शेअर दाद और बधाई स्वीकार करें. 

शुक्रिया आ. योगराज सर 

शाइर अपने रंग में होता है तो उसके लिए कोई रंगरेज़ भी होना चाहिए. ओबीओ वो ही रंगरेज़ है. आपकी इस ग़ज़ल पर बार-बार वाह. 

सब्ज़-बाग़ों भरे वो विज्ञापन 
प्लान कर के ठगा गया है मुझे.  .. वाह भाई वाह

दिल से दाद क़बूल करें 

शुक्रिया आ. सौरभ सर 

आदरणीय निलेश जी मुशायरे में दूसरी ग़ज़ल प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक आभार|

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"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आपने आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह भी ख़ूब हुई है ग़ज़ल और निखर जायेगी"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी अच्छी इस्लाह हुई है"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय इतनी बारीकी से इस्लाह की है आदरणीय तिलक राज सर ने मतले व अन्य शेरों पर काबिल…"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह हर ग़ज़ल पर बेहतरीन हुई है काबिल ए गौर है ग़ज़ल…"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय निलेश सर 4rth शेर बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें आदरणीय"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी सर बधाई स्वीकारें सुधार के बाद शेर और निखर गए हैं"
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