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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आदरणीय महेंद्र कुमार जी बेहतरीन मतले के साथ ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है| दिली दाद कबूल कीजिये|

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी। हार्दिक आभार। सादर।

आदरणीय महेंद्र जी,अच्छी गजल हुई है,बधाइयाँ।

हार्दिक आभार आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।

आदरणीय महेंद्र कुमार जी, आपकी ग़ज़ल अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई।

बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय इंजी. गणेश जी "बाग़ी" जी। हार्दिक आभार। सादर।

वक़्त का आज फिर कोई लम्हा 
आँसुओं में डुबा गया है मुझे

जाना तो मुझको चाहिए था मगर
छोड़ कर वो चला गया है मुझे

जो कहानी कहीं पे ख़त्म न हो
इश्क़ है वो बता गया है मुझे

फल मिलेगा न जाने कब देखो
"सब्र करना तो आ गया है मुझे" बहुत खूब महेंद्र जी| 

उम्दा ग़ज़ल हुई है जिसके लिए आपको हार्दिक बधाई|

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना दी। हार्दिक आभार। सादर।

ज़िंदगी से हटा गया है मुझे

वो कयामत दिखा गया है मुझे

 

मै जिसे जाँ नशीं समझता था

अपना कातिल बता गया है मुझे

 

माँ असर है तेरी दुआओं का

सब्र करना तो आ गया है मुझे

 

जिस्म में सिर्फ दर्द बाकी है

इश्क रोगी बना गया है मुझे

 

जब भी यादों का कारवाँ निकला

जह्र मीठा पिला गया है मुझे

 

रात गुज़रेगी आज तो भारी

ज़िक्र उनका रुला गया है मुझे

 

ये भी उसका फरेब है नादिर

मुस्कुराकर मना गया है मुझे

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

जनाब नादिर खान साहिब,..

अच्छी ग़ज़ल कही मुबारकबाद आपको,,,

हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया जनाब अफ़रोज साहब ........

 आदरनीय नादिर जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई हो 

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