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क्रांतिकारियों ने क्या-क्या सहा होगा,
देशभक्ति का मजा जाने कैसा रहा होगा,
मेरे वीरों का जब लहू बहा होगा,
पवित्र खून से चाबुक धन्य हुआ होगा,
फिरंगियों को भगत ने
दौड़ा-दोड़ा कर कूटा होगा,
बिस्मिल ने भी खजाना
मजे से लूटा होगा,
तो आजाद ने भी जंगल में,
योजना बनाई होगी,
और आजादी पाने वीरों ने,
खूनी होली मनाई होगी,
हथियार लूटने का मजा भी,
अलग रहा होगा,
गरमदल को देख,
ब्रिटिश का पसीना बहा होगा,
गांधी के भी अपने,
ठाठ रहे…
Posted on December 22, 2017 at 9:46pm — 8 Comments
एक अहंकारी पुष्प
अपनी प्रसिद्धि पर इतरा रहा है,
भॅंवरों का दल भी,
उस पर मंडरा रहा है,
निश्चित ही वह,
राग-रंग-उन्माद में,
झूल गया है,
स्व-अस्तित्व का,
कारण ही भूल गया है,
तभी तो,
बार-बार अवहेलना,
कर रहा है,
उस माली की,
जिसने उसे सुंदरता के,
मुकाम तक पहुचाया,
संभवतः उसे ज्ञात नहीं,
बयारों ने भी,
करवट बदल ली है,
जो संकेत है,
बसंत की समाप्ति…
ContinuePosted on December 18, 2017 at 7:30pm — 12 Comments
जब एक सैनिक शहीद होता है
तो साथ में शहीद होती हैं
ढेर सारी उम्मीदें,
ताकत और भावनाएं,
मैं सैनिक नहीं
न मेरा कोई पुत्र,
पर पूरी देशभक्ति
निभायी
अपनी चहारदीवारी
के भीतर
हाथ में धारित
मोबाईल पर चल रहे
सोशल मीडिया
में शहीद सैनिक
की फोटो पर
"जय हिंद"
लिख कर और
सो गया, तब
रात स्वप्न में
वह शहीद आया,
कहा- मैं अपनी
मिट्टी और आपकी
और सेवा करना
चाह रहा था,
पर कर न पाया,
इसलिए…
Posted on December 13, 2017 at 2:30pm — 9 Comments
मैं कवि-सम्मेलन में जाता हॅूं,
मैं भी कवि-सम्मेलन में जाता हॅूं,
भेद-भाव के दरया को,
पाटने की कोशिश में,
सूरज के घर में चाॅंद का,
संदेशा लेकर जाता हॅूं, हाॅं,
मैं भी कवि-सम्मेलन में जाता हॅूं।
खुशियों को ढ़ूंढ़ने निकला हॅूं,
मिल भी गयी दुखदायी खुशी,
दुखदायी खुशी के चक्कर में,
हसीन गम को भूल जाता हॅूं।, हाॅं,
मैं भी कवि-सम्मेलन में जाता हॅूं।
ऐशो-आराम की जिंदगी मिली है,
आराम से सोता पर क्या करूॅं,
पहले हजारों अर्धनिद्रा से…
Posted on December 3, 2017 at 1:00pm — 4 Comments
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