For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-47 (विषय समाधान)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-47 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-47
"विषय: "समाधान" 
अवधि : 27-02-2019  से 28-02-2019 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7031

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया प्रतिभा जी, इस प्रयास पर आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया मुग्धकारी है। सराहना हेतु हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद आपका। सादर।

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आपने समाधान के अंतिम पंक्ति में बिलकुल स्तब्ध कर दिया. ऐसे भी हो सकता है और हो भी रहा है.

प्रदत्त विषय पर संतुलित वार्तालाप के साथ लघुकथा का समापन प्रवाह को बनाये रखता है. बहुत बहुत बधाई!

आदरणीय जवाहर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।

समय बदल रहा है, सोच बदल रही है, फिर भी कुछ समस्याएँ जस-की-तस आज भी हैं| बहुत समय बाद आपकी लघुकथा पढने को मिली है, बढ़िया कथ्य चुना है आपने| एक इंसान के हालात उसको किस तरह मजबूर कर देते हैं| हार्दिक बधाई आपको इस बेहतरीन लघुकथा के लिए, आदरणीय मिथिलेश जी| 

मेरे प्रयास की सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका। बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कल्पना जी।

बेहद उम्दा लघुकथा है आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी. बहुत-बहुत बधाई इस शानदार प्रस्तुति से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु. सादर.

आदरणीय महेन्द्र जी, मेरे प्रयास की सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका। बहुत बहुत धन्यवाद।सादर।

एल.ओ.सी

प्रिय डायरी

सुनो न! आज मैंने एक चित्र देखा। उसमें एक आँख थी, उसमें खिड़की की सलाखें बनी हुईं थी, उन सलाखों के पीछे एक हाथ था। तुम भी सोच रही होगी मैं पागल हूँ, इस चित्र का उल्लेख क्यों कर रहा हूँ। तो सुनो! आज मैं तुमसे कुछ साझा करना चाहता हूँ। यह बात मैं किसी और से नहीं कर सकता। तुम तो मेरी पुरानी साथी हो, मेरी हमराज़ रही हो बचपन से... उस चित्र को देखकर मैं बहुत विचलित हुआ हूँ, पहली नज़र में तो ये चित्र मुझे समझ में नहीं आया। पर यह मेरे ज़हन से जा भी नहीं रहा था। मेरे मोबाइल की गैलरी में इसको बार-बार देख रहा था। ये चित्र मुझसे कुछ कह रहा था। आज मैं इसकी बात को कुछ हद तक समझ पाया हूँ। मैं एक अमीर घर से हूँ, यह तो तुमको पता ही है, बचपन से नौकर-चाकरों के बीच रहा। घर में बाकि सब तो अपने-अपने काम में व्यस्त रहते थे। पिताजी अपने बिजिनेस में, अक्सर टूर पर रहते थे, दादी अपने पूजा-पाठ में रहती, कभी कभी अपने संगी साथियों के साथ घूमने निकल जाती, माँ को क्लब और किटी पार्टीज से फुर्सत न मिलती। सब को आज़ादी थी, पर मुझे घर से बाहर जाने की आज़ादी नहीं थी, गर जाना होता तो ड्राईवर के साथ मेरी केअर टेकर मेरे साथ होती। मैं अपने दोस्तों को देखता था, किस तरह से आज़ादी से वे सब मिलझूल कर खेलते थे। मुझसे कहा था," बेटा! अपने स्टेट्स का ख्याल रखा करो। चाहो तो क्लब चले जाया करो, वहाँ अपने स्टेट्स के बच्चों से दोस्ती करो...। मुझे खुले आसमान के नीचे, मिट्टी में खेलने की इच्छा होती थी, पर सब... तुम समझ रही हो न मैं क्या कहना चाहता हूँ, अपने ही घर में क़ैद हो गया था, इस आँख में मैंने खुद को अपने ही घर में कैदी पाया, जो इन सब से मुक्त हो पंख लगाकर उड़ना चाहता था। पर यह उस वक़्त सम्भव नही लग रहा था। कुछ महीनों बाद पिताजी का स्वर्गवास हो गया, दादी भी इस गम में चल बसीं,अब घर में सिर्फ माँ और मैं...नहीं नहीं और सब नौकर... पर अब इतने नौकरों की क्या जरूरत थी? धीरे-धीरे माँ ने सब को नौकरी से मुक्ति दे दी। अब सिर्फ केअर टेकर, एक बाई जो घर की सफाई करती , और एक कूक! आज मैं बड़ा हो गया हूँ, तो बचपन के इस क़ैद को सोच कर परेशान हो जाता हूँ, क्या बड़े घरों के बच्चों की समस्यायों का कोई समाधान नहीं होता! अब मैं स्वतन्त्र हूँ, पर अब मैं खुद अपनी ही आँखों में क़ैद हो चूका हूँ... यही मेरी ज़िन्दगी है... बिज़िनेस और घर, और वही टूर्स... अपने पापा की तरह.... मेरा बेटा भी क्या खुद को.... पता नही। पर कहीं तो होगा न इसका समाधान। अमीरी और गरीबी के बीच की लकीर... यह कोई एल.ओ.सी तो नहीं.... डायरी! गर तुम्हारे पास कोई समाधान हो तो मुझे अवश्य बताना...इंतज़ार करूँगा।

तुम्हारा लेखक अविनाश

.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदाब। लाइन ऑफ कंट्रोल को अमीरी-गरीबी और सादगी और आधुनिक जीवन शैली की नियंत्रण रेखा रूप में डायरी को बयां करती दास्तां। बहुत बढ़िया उम्दा। हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट साहिबा।

धन्यवाद आदरणीय शहजाद उस्मानी जी| 

आदरणीय कल्पना भट्ट रौनक़ जी आदाब बहुत सुन्दर प्रस्तुति पर बहुत बधाई स्वीकार करें सादर 

धन्यवाद् आदरणीय आसिफ जैदी जी|

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service