For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-4 (सब परिंदे लड़ रहे हैं...)

2122 2122 2122 212

सब परिंदे लड़ रहे हैं, आसमां भी कम है' क्या
इन सभी के हाथ में अब मज़हबी परचम है' क्या //१

क्यूँ सभी के अम्न के, क़ातिल बने हो रहबरों
घर चलाने के लिए घर में कहीं कम ग़म है क्या //२

एक क़तरा अश्क भी जो दे नहीं, वो हमसफ़र
दर्द से जो रोज़ खेले वो भला हमदम है क्या //३

दर्द से व्याकुल मरीज़ों के बने थे चारागर
जो दवा नासूर कर दे वो भला मरहम है क्या //४

जल रही हो जब ये धरती जल रहा हो जब चमन
ऐसे में जब आग बरसे ये भला मौसम है क्या //५

-- क़मर जौनपुरी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on November 18, 2018 at 12:39pm

हार्दिक बधाई आदरणीय क़मर जौनपुरी जी। बहुत सुंदर गज़ल।

दर्द से व्याकुल मरीज़ों के बने थे चारागर
जो दवा नासूर कर दे वो भला मरहम है क्या //४

Comment by राज़ नवादवी on November 18, 2018 at 10:35am

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे बधाई स्वीकार करें. सादर 

Comment by क़मर जौनपुरी on November 17, 2018 at 11:21pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब अजय तिवारी साहब हौसला आफ़ज़ाई के लिए। ऐसे ही इस्लाह का सिलसिला बनाये रखिये।

Comment by Ajay Tiwari on November 17, 2018 at 5:16pm

आदरणीय कमर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

Comment by क़मर जौनपुरी on November 16, 2018 at 3:27pm
इस्लाह के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।
Comment by Samar kabeer on November 16, 2018 at 3:07pm

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

दे दवा नासूर कर दी ये भला मरहम है क्या'

इस मिसरे को यूं कर लें:-

'जो दवा नासूर कर दे वो भला मरहम है क्या'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service