For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'डस्ट-मून्ज़' (लघुकथा)

"देखो, हम सेलिब्रिटीज़ की ज़िन्दगी के साथ मीडिया ऐसे ही बर्ताव करता रहता है! टेंशन मत लो!"
"सब कुछ मेंशन हो चुका है! तुम तो सिर्फ़ यह बता दो कि मैं तुम्हारा पहला चांद हूं या दूसरा या फिर तीसरे नंबर का?"
"क्या मतलब?"
"देखो अर्थ! अब ज़्यादा मत इतराओ! मैंने भी तुम्हारी उन दोनों लैलाओं के बयान सुन लिए हैं टेलीविज़न पर!"
"देखो शशि! मुझ पर और तुम स्वयं पर विश्वास रखो! तुम्हीं मेरा पहला और आख़री चांद हो, तुम्हीं इंदु, विधु और तुम्हीं मेरी चंदा हो डार्लिंग!"
"फ़िर वे दोनों कौन हैं, जो तुम पर शोषण, हरेशमंट या रैप के इल्ज़ाम सरेआम लगा रहीं हैं!"
"यूं समझ लो कि वे तुम्हारे प्रिय अर्थ के चक्कर लगाकर उससे ही रौशन 'डस्ट-मून्ज़' जैसी ही हैं, जो विज्ञान-जगत की तरह फ़िल्मी-दुुनिया और मीडिया की दुनिया में विवादित ही रहती हैं, प्रमाणित नहीं!"
"होश में तो हो न! वैज्ञानिकों ने अभी हाल में प्रमाणित कर दिया है कि 'अर्थ' के तीन मून हैं... और यहां मीडिया में भी कोर्ट में साबित करने की धमकियां हैं कि तुम्हारे भी दो और मून हैं!"
"रो मत पगली! ऐसे डस्ट-मून्ज़ की कोई औक़ात नहीं होती! बनते-बिगड़ते और बिखरते रहते हैं हम सेलिब्रिटीज़ के चारों ओर!"
"देखो अर्थ! मैं तुम्हें ऐसे प्रदूषण से मुक्त कराना चाहती हूं, प्लीज़ लीव देम!"
"प्रदूषण नहीं पगली! हमारी फ़ील्ड में वो सब नेचुरल है! 'सेलिब्रिटीज़-फोर्स' है 'पृथ्वी' के गुरुत्वाकर्षण माफ़िक, बस! तरक़्क़ी के कोर्स के सोर्स हैं और कुछ नहीं!"
"चुप रहो अर्थ! तुम्हारी वे डस्ट-मून्ज़ डिवोर्स की फोर्स, कोर्स और सोर्स भी तो हो सकती हैं, समझे!"
"मेरी चंदा, मेरी शशि! तुम तो सदा मेरे गुरुत्वाकर्षण में अपनी इसी 'ओरबिट' में रहोगी न! ये क़ुदरत की बनाई जोड़ी है जन्मों-जन्मों की!" यह कहते हुए अर्थ ने शशि को अपनी बाहों में भरते हुए कहा - "आइ लव यू शशि!"
"मी टू!" सिसकियों की जुगलबंदी के साथ शशि के ये शब्द अर्थ के कानों तक पहुंचे।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 12, 2018 at 2:30pm

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर भी उपस्थित होकर पहली टिप्पणी, अनुमोदन और प्रोत्साहन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर  साहिब।

Comment by Samar kabeer on November 11, 2018 at 6:37pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 10, 2018 at 7:08pm
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 10, 2018 at 6:54pm

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service