For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परछाईयों का भय - लघुकथा

पिछले कुछ घंटों से उदास दिख रहे अपने दोस्त को देखकर उससे रहा नहीं गया. "क्या हो गया राजमन, बहुत उदास लग रहे हो".
राजमन ने एक नजर उसकी तरफ डाली और सोच में पड़ गया कि तेजू को बात बताएं कि नहीं. लेकिन तेजू तो उसकी हर बात, हर राज से वाकिफ़ था इसलिए उसे बताने में कोई हर्ज भी नहीं था.
"यार, तुम तो देख ही रहे हो ये आजकल का ट्रेंड, जिसे देखो वही इस #मी टू# के बहाने लोगों के नाम उछाल रहा है. रिटायरमेंट के बाद अब कहीं कोई मेरे खिलाफ भी यह चैप्टर न खोल दे, यही सोचकर घबरा रहा हूँ".
तेजू ने गहरी सांस ली "अच्छा तो यह वजह है, वैसे तुम्हारा कोई अफेयर मुझसे तो छिपा नहीं है. लेकिन शोषण तो तुमने किया ही था कई महिलाओं का".
"अब तुम भी यही कहोगे, मैंने शोषण किया है. अरे सबके अपने अपने स्वार्थ थे और सारे समझौते उसी के लिए तो हुए थे", राजमन ने अपनी दलील दी.
तेजू के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी "अब इतना तो तुम भी जानते हो कि उस समय तुम ऐसे पद पर थे कि लोगों की मदद कर सकते थे. लेकिन क्या उस समय तुम्हारी नैतिक जिम्मेदारी कुछ नहीं थी?


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on October 22, 2018 at 12:33pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम तेज वीर सिंह साहब

Comment by विनय कुमार on October 22, 2018 at 12:33pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम मिर्ज़ा हफ़ीज़ बेग साहब

Comment by विनय कुमार on October 22, 2018 at 12:33pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम मिर्ज़ा जावेद बेग साहब

Comment by विनय कुमार on October 22, 2018 at 12:32pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब

Comment by TEJ VEER SINGH on October 22, 2018 at 11:34am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Mirza Hafiz Baig on October 21, 2018 at 1:05pm

विनय कुमार जी,

सामयिक विषय उठाती लघुकथा हेतु बधाई।

Comment by mirza javed baig on October 18, 2018 at 11:25pm
  • जनाब विनयकुमार जी आदाब, 
  • करंट टापिक पर शानदार लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें
Comment by Samar kabeer on October 18, 2018 at 10:27pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service