For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो तेरे आस पास बिखरे हैं।।
वो मेरे दिल के सूखे पत्ते हैं।।

काग़ज़ी फूल थे मगर जानम।।
तेरे आने से महके महके हैं।।

याद आती है उनकी जब यारों।
मुझमे मुझसे ही बात करते हैं।।

बदली किस्मत ज़रा सी क्या उनकी।।
वो ज़मीं से हवा में उड़ते है।।

जिनके ईमान ओ अना हैं गिरवी।।
वो भी इज़्ज़त की बात करते है।।

'राम' बच के रहा करो इनसे।
ये जो कातिल हसीन चेहरे है।।

मौलिक/अप्रकाशित

राम शिरोमणि पाठक

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on June 6, 2018 at 10:11am

गुमनाम भाई बहुत आभार आपका

Comment by ram shiromani pathak on June 6, 2018 at 10:11am

लक्ष्मण भाई बहुत बहुत आभार आपका।।सादर

Comment by ram shiromani pathak on June 6, 2018 at 10:10am

आरिफ़ भाई बहुत आभार आपका।।टंकण त्रुटि है सही कर लेता हूँ///सादर

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 5, 2018 at 10:06pm
गज़ल अच्छी लगी ,,बधाई
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 4, 2018 at 12:48am

आ. भाई रामसिरोमणि जी, सुंदर रचना हुयी. हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohammed Arif on June 1, 2018 at 10:12am

आदरणीय राम शिरोमणि जी आदाब,

                        अच्छे अश'आरों से सुसज्जित ग़ज़ल । हर शे'र उम्दा । शुरू के तीन शे'र में तो बहुवचन का (हैं) का प्रयोग है मगर बाक़ी के शे'र में बहुवचन का प्रयोग नदारत है । देखिएगा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by ram shiromani pathak on May 30, 2018 at 10:12am

बहुत बहुत आभार आदरणीय।।सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 29, 2018 at 5:59pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी बहुत अच्छी रचना है रचना पर हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service