For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-94

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 94 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब फ़िराक़ गोरखपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"मिले न छाँव मगर धूप ढल तो सकती है  "

1212      1122    1212       22

मुफ़ाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फेलुन/फइलुन 

(बह्र: मुज्‍तस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर )

रदीफ़ :- तो सकती है 
काफिया :- अल (ढल, निकल, बदल, चल, संभल आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 अप्रैल दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 अप्रैल दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9544

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया अंजलि जी मंच पर आपका स्वागत है, ग़ज़ल का प्रयास बहुत बेहतरीन हुआ है , एक दो जगह बहर की समस्या थी वो भी आपने दूर कर ली है, नियमित प्रयास करते रहने से शेर भी निखरने लगेंगे| अच्छे शेर कहना एक कला है और यह निरंतर अभ्यास से ही सीखी जा सकती है| बस मंच से जुड़े रहिये, यहाँ ज्ञान बिखरा पडा है कब जाने क्या नया मिल जाए , इसी बहाने एक काम की बात मैं भी साझा कर देता हूँ ....उस्तादों का कहना ही कि शेर वह अच्छा माना जाता है जो जैसे बोला जाता है वैसे ही कहा जाए अर्थात शब्दों का जो क्रम हम बातचीत के समय रखते हैं वाही क्रम मिसरों में भी हो तो शेर की उम्र बढ़ जाती है , जबकि होता यह है कि हम बहर सेट करने के प्रयास में शब्दों का क्रम बदलते रहते हैं , जितना संभव हो इस चीज से बचना चाहिए| उदहारण के लिए मीर तकी मीर का एक मिसरा है 

पत्ता पत्ता बूटा बूटा राज़ हमारा जाने है ...इसे शब्दों का क्रम बदल के भी कहा जा सकता है और बहर भी नहीं बदलेगी

राज़ हमारा बूटा बूटा पत्ता पत्ता जाने है ........पर ऐसे मिसरे ज़बान पर नहीं चढ़ते हैं ....

हार्दिक शुभकामनाएं|

आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी, आपकी हौसला अफ़ज़ाई का दिली शुक्रिया। जब से obo से जुड़ी हूँ निरन्तर कुछ सीख रही हूँ। तरही मुशायरे का बेसब्री से इंतज़ार रहता है क्योंकि गुणीजन द्वारा अपनी रचना पर भरपूर समय और सीखने को मिलता है।कल ही कह मुकरियाँ विधा सीख कर लिखने की कोशिश की। यूँ लगता है 8 साल ज़ाया हो गए जो obo के सम्पर्क में न आ सके। लेकिन लैपटॉप न होने की वजह से मोबाइल पर इसे ऑपरेट करने में काफी दिक्कत महसूस होती है। इस वजह से उतना लाभ नहीं उठा पाती। ग़ज़ल पढ़ने, दुरुस्त अशआर को दोबारा पढ़ने और प्रतिक्रिया पर अपना समय देने के लिए दिल से आभार आपका और सभी गुणीजन का

सादर

देर आये दुरुस्त आये ।

मैं भी मोबाईल से ही ओबीओ पर सक्रिय रहता हूँ,मुझे कोई परेशानी नहीं होती ,सक्रियता बनाये रखें ।

सर कई बार मोबाईल तो रहता है पर नेटवर्क नहीं रहता ....फिर भी मैं अपना आलस्य स्वीकारता हूँ ..आपकी डांट का नतीज़ा ही है जो इस बार देर सही पर बेदार हूँ|

शुक्रिया भाई,ये डांट नहीं मंच की महब्बत है ।

वैसे आज तो शुक्रिया ग़ज़लकारों और पाठकों का आप ही अदा करें,अच्छा लगेगा ।

किसी भी हाल में दिल की लगी नहीं बुझती 
वो आग है ये जो पानी से जल तो सकती है 

आदरणीय अंजली साहिबा जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है 

आदरणीय मुनीश जी, ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफ़ज़ाई के लिए दिली शुक्रिया।

आदरनीया अंजली जी, ग़ज़ल के प्रयास की बधाई हो 

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, ग़ज़ल पर आपका समय देने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया करती हूँ

है सख़्त बर्फ़ मगर ये पिघल तो सकती है
तहों से इसकी नदी भी निकल तो सकती है

ज़माने हो गए ख़ुर्शीद का किए दीदार
भले तवील सही रात ढल तो सकती है

बचा कहाँ कोई नफ़रत की आग से अब तक
इस आग में तेरी दुनिया भी जल तो सकती है

चमक सितारों की काफ़ी है रहनुमाई को
अँधेरों में भी कोई रह निकल तो सकती है

मैं मानता हूँ कि तेरे ख़िलाफ़ है इस वक़्त
मगर हवा ये तेरे हक में चल तो सकती है

जगह बहुत है तेरे इस जहान में, ऐ दोस्त!
यहीं कहीं मेरी इक जाँ भी पल तो सकती है

बस इन्तज़ार करो वक्त के बदलने का
“मिले न छांव मगर धूप ढल तो सकती है”


शब्दार्थ
खुर्शीद - सूरज, तवील – लम्बा या लम्बी

-मौलिक व अप्रकाशित

बहुत खूब उम्दा ग़ज़ल हुई है आ. शिज्जू भाई..
बहुत बहुत बधाई..

बहुत बहुत शुक्रिया आ. निलेश भाई, 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
12 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
12 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
12 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service