[प्रस्तुत चित्र श्री विनय कुल जी के सौजन्य से]
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार 84 वाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
20 अप्रैल 2018 दिन शुक्रवार से 21 अप्रैल 2018 दिन शनिवार तक
इस बार पुनः छंदों की पुनरावृति हो रही है -
शक्ति छंद और भुजंगप्रयात छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
भुजंगप्रयात छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 अप्रैल 2018 दिन शुक्रवार से 21 अप्रैल 2018 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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मुहतर्मा मंजीत साहिबा ,छन्दों में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब,
सबसे पहले तो अनुस्वार और चंद्रविन्दु के फ़र्क़ को रेखांकित कर समझ लें। दोनों के उच्चारण और मात्रा तक में बहुत अंतर है। जहाँ चंद्रविन्दु एक मात्रिक है, वहीं अनुस्वार द्विमात्रिक है। अतः, हँस और हंस में भारी अंतर है।
ओबीओ जैसे साहित्यिक पटल पर दोनों को एक जैसा चिह्नित करना उचित नहीं लगता।
बाकी तो सुधीजनों की प्रतिक्रियाओं का स्वागत है। आयोजन में सहभागिता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ
आ.जनाब सौरभ साहिब ,अनुस्वार और चंद्रबिंदु में फ़र्क़ बताने का बहुत बहुत शुक्रिया । इसका मतलब यह हुआ कि ---नहीं को नहीँ , हंसी को हँसी ,हैं को हैँ , करेंगे को करेँगे, कहूं को कहूँ , लिखना सही होगा ---सादर
//नहीं को नहीँ , हंसी को हँसी ,हैं को हैँ , करेंगे को करेँगे, कहूं को कहूँ, लिखना सही होगा //
यह आप अभी तक नहीं जानते थे यह मुझे तनिक चकित कर रहा है।
एक बात और जान लें।
किसी अक्षर के साथ मात्रा जुड़ी हो, जो देवनागरी लिपि के अक्षर की उपरि-रेखा के ऊपर आकार पाती हो, तो चन्द्रविन्दु भी अनुस्वार की तरह प्रयुक्त होता है। जैसे, हँसना सही है तो नीँद सही नहीं है। बल्कि नींद ही लिखा जायेगा। नहीं को नहीँ लिखना सही नहीं होगा। इस् हिसाब से आप स्वयं देख लें, आपने शब्दों की अक्षरी सही लिखी गयी है या नहीं।
सादर
आदरणीय तस्दीक अहमद साहब, दोनों ही छन्दों ने चित्र को पूर्णतः परिभाषित किया है। किंचित सुधार के संबंध में विद्वजनों ने विचार प्रकट कर ही दिए हैं।
आ.जनाब अरुण साहिब ,छन्दों में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन आपकी दोनों रचना चित्रानुरूप हैं उम्दा भाव के साथ आकर्षक रचना के लिए दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए
जनाब डॉक्टर छोटे लाल साहिब ,छन्दों में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
सुबह सांझ अभ्यास करते कई
निरोगी रहे जो सिकंदर वही ।//सुन्दर भाव हार्दिक बधाई प्रदत्त चित्र पर सुन्दर छंद रचना के लिए आदरणीया मंजीत कौर जी
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