For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पता नहीं उस मिटटी के बड़े से आले में क्या तलाश रहा था थका मायूस आठ बर्षीय मोहन?कुछ गंदे फटे पुराने कपड़े और नाना की टूटी पनय्यियों के सिवा कुछ भी तो नहीं था उस आले में।अचानक उसके उदास चेहरे पे एक तेज चमक उभरी..कुछ मिला था उसे..लेकिन ये वो चीज नहीं है जिसे वो मासूम तलाश रहा था ।परंतु शायद उससे भी ज्यादा जरुरी था वो धूल मिटटी से सना हुआ रोटी का टुकड़ा।लगता है किसी चूहे ने यहाँ छोड़ा होगा।चोर निगाहों से उसने दांये बांये देखा..नहीं कोई नहीं देख रहा है..अगले ही पल वो रोटी का टुकड़ा उसकी निकर की जेब में था।एक बार फिर चारों तरफ देख तसल्ली की उसने और फिर तेजी से घर के पिछले हिस्से की ओर भागा।एक मुनासिब कोना तलाश कर कुछ पल अपनी साँसों को सयंत किया और फिर मृग शावक सी व्याकुल आँखों से इधर उधर देखा।उसे कोई नहीं देख रहा है मन को तसल्ली हुई।डर इस बात का नहीं था कि कोई रोटी देख लेगा डर था कि कोई उसकी भूख पहचान न ले जो वो छुपा रहा था।जेब से रोटी का टुकड़ा निकाल उसके ऊपर जमी धूल मिटटी को हाथों से पोंछ बड़े चाव से खाता चला गया..पता नहीं फिर कब मिले?पिछले एक पुरे दिन से कुछ भी तो नहीं था घर में खाने को।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 15, 2018 at 5:36pm

आदरणीय डा.साहब..हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ..मुझे भी लगता कुछ और बेहतर किया जा सकता है...निरंतर प्रयासरत हूँ..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 15, 2018 at 5:34pm

उचित ही फ़रमाया आपने आदरणीय सोमेश जी..आपको रचना पसंद आई आपका हार्दिक अभिनन्दन..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 15, 2018 at 12:21pm

भाई ब्रिजेश जी रचना के भाव बहुत अच्छे लगे ..मैं जिस बात पर उलझा था उस का संकेत आदरनीय शेख जी ने अपनी टिप्पणी में बखूबी क्र दिया है रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by somesh kumar on March 15, 2018 at 10:24am

lghuktha ki sbse bdi chunoti yhi hoti hai ki use gagar me sagar bhrna hota hai.km shbdon me gambhir ghav krne hote hai mujhe lgta hai islie lghuktha ka stik mulaynkn kthin hota hai.JO bhi ho aapki lghuktha achchi lgi 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 14, 2018 at 4:49pm

जी आदरणीय शेख साहब..दरअसल मुझे लगता ही लघु कथा पाठक से बात करती हुई होनी चाहिए..कोई भी लघुकथा अपने अंत में पाठक के दिलो दिमाग में एक टीस सी छोड़ती हो तो वो सफल है।जितना लगता है लघु कथा लिखना उतना आसान नहीं है।बड़ी हिम्मत कर के ये मेरा पहला प्रयास है।आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 14, 2018 at 4:44pm

आदरणीय समर जी हौसलाफजाई के लिए आपका तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 13, 2018 at 10:10pm

भूख और भूखे पेट के हालात पर बढ़िया रचना। इसे दो तीन तरह से लिख कर देखिएगा, तो बेहतर रूप भी आप दे सकेंगे। हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।

Comment by Samar kabeer on March 13, 2018 at 9:46pm

जनाब बृजेश जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 13, 2018 at 10:03am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय महाजन जी..बस भूख से जूझते हुए एक मासूम बचपन की मनोदशा का वर्णन करने की कोशिश की..

Comment by Harash Mahajan on March 12, 2018 at 11:26pm

वाह आ0 ब्रजेश कुमार जी बहुत खूब । अच्छी लघु कथा । कथाओं का इतना जानकार तो नहीं हूँ लेकिन एक श्रोता के जानिब हर बेहतरीन कहानी का कोई उद्देश्य व संदेश ज़रूर होता है । 

सादर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Sep 30

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service