For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विश्वसनीयता(लघु कथा)

मैं ,मैं हूँ।समझी ,कि नहीं?
-और मैं क्या हूँ,पता है?
-जरूर,पर हवाला मेरा ही दिया जाता है,तेरा नहीं।
-वो बात दीगर है।
-सच है।
-है,पर दिखने और होने में फर्क होता है।
-मतलब?
-तू समझता है।
-अरी, मेरे बिना तो सरकारें तक नहीं चलतीं, हिल जाती हैं।
-वही तो।तू पाला बदलता रहता है,मैं तिलमिलाती रहती हूँ।
-तो तुझे क्यों मलाल होता है?
-क्योंकि तू भौतिकता का कायल हो सकता है,हो भी जाता है।
-और तू?
-मैं तो भाव निरूपित करती हूँ।भाववाचक हूँ',विश्वसनीयता बोली।
विश्वास का मुँह लाल हो गया।रंगत गुस्से की थी या लज्जा की,वह तय नहीं कर पा रहा था।
"" मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on January 2, 2018 at 10:02am

बहुत बहुत आभार जनाब उस्मानीजी।नव वर्ष की शुभ कामनाएं।

Comment by Manan Kumar singh on January 2, 2018 at 10:01am

आदरणीय सुरेन्द्र जी,आपका शुक्रिया।नव वर्ष की मंगलकामनाये।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 2, 2018 at 9:05am

वाह! जाते साल और नव वर्ष के आगाज़ पर 'विश्वास' और ' विश्वसनीयता' के कथनोपकथन में उन दोनों को ही परिभाषित करते हुए देश और जीवन का यथार्थ चित्रित करती बेहतरीन विचारोत्तेजक सारगर्भित लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मनन कुमार सिंह साहिब। दरहक़ीक़त दिखने और होने में फर्क होता है। हार्दिक आभार। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2018 at 2:12pm

आद0 मनन कुमार जी सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा लिखी आपने। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ संग बहुत बहुत बधाई

Comment by Manan Kumar singh on December 31, 2017 at 8:09pm

आभार एवं नव वर्ष की मंगलकामनाये आरिफ भाई।

Comment by Mohammed Arif on December 31, 2017 at 7:52pm

आदरणीय मनन कुमार जी आदाब,

                     सशक्त लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।

                 नववर्ष की शुभकामनाएँ !

Comment by Manan Kumar singh on December 31, 2017 at 6:35pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय तेजवीर जी।नवल वर्ष मंगलमय हो!

Comment by TEJ VEER SINGH on December 31, 2017 at 6:21pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।बेहतरीन प्रस्तुति। एक कड़वी सच्चाई से रूबरू कराती रचना।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service