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इंतज़ार – लघुकथा -

  इंतज़ार  – लघुकथा  -

 "नीरू बिटिया, आजा मेरी बच्ची, क्यों दरवाजे पर टकटकी लगाये बैठी है। रज्जन अब कभी नहीं लौट कर आनेवाला" स्वर्गीय रज्जन की अम्मा ने अपनी पुत्र वधू निर्मला को साँत्वना देने के लहज़े में पुकारा |

"अम्मा, यह बात तो हम भी जानते हैं। बार बार क्यों दोहराते हो? वह जब फ़ौज़ में गया था तभी हम अपना मन पक्का कर लिये थे। पर ऐसे उसका अंत होगा कि मृत शरीर भी देखने को नहीं मिलेगा , यह कभी नहीं सोचा था"।

"बिटिया, आतंकियों ने बम से चिथड़े  चिथड़े कर दिये मेरे बच्चे के। शायद उसकी तक़दीर में यही लिखा था|  होनी बहुत बलवान होती है" अम्मा ने अपनी गीली आँखों को साड़ी के छोर से पोंछते हुए,  हताश और  भरे गले से कहा|

 "तो उस होनी से हम भी अब दो दो हाथ करना चाहते हैं, अम्मा"।

"तेरा मतलब क्या है मेरी बच्ची"?

"अभी सरकार ने कुछ फ़ौज़ियों की विधवाओं को फ़ौज़ में नौकरी देने की पहल की है, अम्मा"।

"तो क्या तू भी"?

"हाँ अम्मा, हमने भी अपनी अर्ज़ी भेज दी है सरकार को"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 4:02pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह "कुशक्षत्रप" जी। 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 4:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय अलका "कृष्णांशी" जी। 

Comment by नाथ सोनांचली on October 3, 2017 at 4:10am
आद0 तेजवीर जी सादर अभिवादन, बढ़िया लघुकथा पर बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by TEJ VEER SINGH on October 2, 2017 at 7:51pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।

Comment by Samar kabeer on October 1, 2017 at 9:18pm
जनाब तेजवीर सिंह साहिब आदाब,बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 1, 2017 at 12:41pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी ,सुंदर संदेश देती बढ़िया रचना। सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 1, 2017 at 12:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला आसिफ़ जी।

Comment by Rahila on October 1, 2017 at 6:30am
देश के लिए ऐसे जज़्बे को सलाम है।बहुत बढ़िया रचना।सादर

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