For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इंतज़ार – लघुकथा -

  इंतज़ार  – लघुकथा  -

 "नीरू बिटिया, आजा मेरी बच्ची, क्यों दरवाजे पर टकटकी लगाये बैठी है। रज्जन अब कभी नहीं लौट कर आनेवाला" स्वर्गीय रज्जन की अम्मा ने अपनी पुत्र वधू निर्मला को साँत्वना देने के लहज़े में पुकारा |

"अम्मा, यह बात तो हम भी जानते हैं। बार बार क्यों दोहराते हो? वह जब फ़ौज़ में गया था तभी हम अपना मन पक्का कर लिये थे। पर ऐसे उसका अंत होगा कि मृत शरीर भी देखने को नहीं मिलेगा , यह कभी नहीं सोचा था"।

"बिटिया, आतंकियों ने बम से चिथड़े  चिथड़े कर दिये मेरे बच्चे के। शायद उसकी तक़दीर में यही लिखा था|  होनी बहुत बलवान होती है" अम्मा ने अपनी गीली आँखों को साड़ी के छोर से पोंछते हुए,  हताश और  भरे गले से कहा|

 "तो उस होनी से हम भी अब दो दो हाथ करना चाहते हैं, अम्मा"।

"तेरा मतलब क्या है मेरी बच्ची"?

"अभी सरकार ने कुछ फ़ौज़ियों की विधवाओं को फ़ौज़ में नौकरी देने की पहल की है, अम्मा"।

"तो क्या तू भी"?

"हाँ अम्मा, हमने भी अपनी अर्ज़ी भेज दी है सरकार को"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 4:02pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह "कुशक्षत्रप" जी। 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 4:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय अलका "कृष्णांशी" जी। 

Comment by नाथ सोनांचली on October 3, 2017 at 4:10am
आद0 तेजवीर जी सादर अभिवादन, बढ़िया लघुकथा पर बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by TEJ VEER SINGH on October 2, 2017 at 7:51pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।

Comment by Samar kabeer on October 1, 2017 at 9:18pm
जनाब तेजवीर सिंह साहिब आदाब,बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 1, 2017 at 12:41pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी ,सुंदर संदेश देती बढ़िया रचना। सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 1, 2017 at 12:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला आसिफ़ जी।

Comment by Rahila on October 1, 2017 at 6:30am
देश के लिए ऐसे जज़्बे को सलाम है।बहुत बढ़िया रचना।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service