For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- कीचड़ के आस पास में देखा कवँल गया

*221 2121 1221 212*

सारा चमन गुलाब था अश्कों में ढल गया ।
था बारिशों का दौर समंदर मचल गया ।।

रुसवाईयां तमाम थीं दिल में मलाल थे ।
देखा जो हुस्न आपका पत्थर पिघल गया ।।

खुशबू बनी हुई है अभी तक दयार में ।
महबूब मेरा ख्वाब में आकर टहल गया ।।

कैसा नशा था इश्क़ में मदहोशियों के बीच ।
जो भी थे दफ़्न राज़ वो पल में उगल गया।।

जब मैं जला तो लोग बहुत जश्न में मिले ।
जैसे किसी नसीब का सिक्का उछल गया ।।

कहता था है ये आग का दरिया न इश्क कर।
सुनता हूँ चैन भी तेरा है आजकल गया।।

कच्ची सी बस्तियोंं में हैं सस्ते जवाहरात ।
कीचड़ के आस पास में देखा कंवल गया ।।

महफ़िलमें क्या नज़र मिली जोआपसे हुजूर।
मुद्दत के बाद दिल भी हमारा बहल गया।।

उसने कहा था साथ निभाएंगे उम्र भर ।
इंसान चन्द रोज में कितना बदल गया ।।

मिलती कहाँ दुआ है मुहब्बत के वास्ते ।
आई कभी खुशी तो दिवाला निकल गया ।।

वो जिस्म था कि आग यही सोचते रहे ।
जब भी गया करीब लहू तक उबल गया ।।

,--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित मौलिक

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2017 at 4:46pm

बढ़िया ग़ज़ल है नवीन भाई जी हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 2:36pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

तीसरे शैर के ऊला में 'ख़ुशबू बनी'को "ख़ुशबू बसी" कर लें ।

पांचवें शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है ।

सातवें शैर के ऊला मिसरे में 'सस्ते' को 'मंहगे' कर लें ।

'महफ़िल में क्या नज़र मिली जो आपसे हुज़ूर'
इस मिसरे में रवानी नहीं है, यूँ कर लें तो रवानी में आजायेगा :-
'महफ़िल में क्या निगाह मिली आपसे हुज़ूर'
Comment by नन्दकिशोर दुबे on September 24, 2017 at 3:31pm
बहुत ही कमाल की गजल है । आनन्द आ गया । एक एक शेर लाजवाब । चमत्कार दर चमत्कार भाई वाह वाह !
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 23, 2017 at 2:26pm

waah mitra 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
23 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
23 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service