For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार सतहत्तरवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

15 सितंबर 2017 दिन शुक्रवार से 16 सितंबर 2017 दिन शनिवार तक

इस बार के छंद हैं -

सरसी छंद और आल्हा (वीर) छंद

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

[प्रस्तुत चित्र अंतर्जाल से]

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

आल्हा या वीर छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक...

 

सरसी छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 सितंबर 2017 दिन शुक्रवार से 16 सितंबर 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8001

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सत्यनारायण जी, बहुत बढ़िया लिखा है आपने. हार्दिक बधाई

जिनकी इच्छा शक्ति अधिकतम, लिखती जीवन का उन्वान

आल्हा छंद -

सीख रहा तलवार चलाना और बचा लेना अरि वार

सूर्योदय के साथ नित्य ही, हो जाता चेला  तैयार.

हरा-भरा औ खुला-खुला है, कस्बे के बाहर मैदान

जहाँ बाँटते गुरुवर देखो, अपना संचित सारा ज्ञान.

पलक झपकते देर नहीं औ, चेला कर देता है वार

बड़ी चपलता से गुरुवर भी, निष्फल करते सभी प्रहार.

भ्रम होता उड़ रहे गगन में, नभचर जैसे दोनों वीर

पृष्ठ भूमि की बस्ती लगती, ज्यों रण-प्रांगण की प्राचीर.

परम्परागत यह विद्या भी, लगता है अब होगी लुप्त

जानकार भी नहीं बाँटते, जाने क्यों रखते हैं गुप्त.

साथ नहीं जायेगी विद्या, अब सुयोग्य झट ढूँढो शिष्य

परम्परागत विद्याओं का, होगा तब ही सुखद भविष्य.

(मौलिक और अप्रकाशित)  

आदरणीय अरुण कुमार जी आदाब, सशक्त और सजीव व प्रभावशाली चित्रण । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

परम्परागत यह विद्या भी, लगता है अब होगी लुप्त

जानकार भी नहीं बाँटते, जाने क्यों रखते हैं गुप्त.

साथ नहीं जायेगी विद्या, अब सुयोग्य झट ढूँढो शिष्य

परम्परागत विद्याओं का, होगा तब ही सुखद भविष्य..... वाह ...बहुत गहन और विचारणीय बात कही है आपने इस बंद में  ... हार्दिक बधाई प्रेषित है इस शानदार सृजन पर  आदरणीय अरुण कुमार निगम जी 

आदरणीय अरुण सर बहुत ही सुंदर चित्राधारित रचना आल्हा छंद में लिखी आपने सादर ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय अरुण निगम जी, कहना अनुचित न होगा, यह छंद आपका पसंदीदा छंद रहा है. आपने उसी मनोयोग से रचनाकर्म किया भी है. परम्परा से चली आ रही विद्या के भविष्य को लेकर आपकी चिंंता स्वाभाविक है. यह चिंता प्रत्येक जागरुक नागरिक की होनी चाहिए. 

जहाँ तह शिल्पपक्ष की बात है, आपकी प्रस्तुति कमाल कर रही है. भाव और कथ्य के लिए विशेष बधाइयाँ कह रहा हूँ 

सादर

आदरणीय अरुण निगम साहब सादर, प्रदत्त चित्र को गुरु चेले के युद्धाभ्यास के रूप में बहुत ही सुन्दरता से परिभाषित करते तीनों ही छंद सुंदर रचे हैं. परम्परागत विधाओं को बढ़ावा मिले यह भी आवश्यक है. हार्दिक बधाई. सादर.

जनाब अरुण कुमार निगम जी आदाब,प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते बहुत उम्दा आल्हा छन्द लिखे आपने,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय अरुण निगम जी सादर, 

        इस अनुपम प्रस्तुति हेतु आपकी लेखनी को सादर नमन आदरणीय 

आदरणीय अरुण सर, प्रदत्त चित्र को सार्थक करते बढ़िया आल्हा छंद पद लिखे हैं. लेकिन यह पंक्ति तो बहुत प्रासंगिक और कालजयी हुई है -

//परम्परागत यह विद्या भी, लगता है अब होगी लुप्त

जानकार भी नहीं बाँटते, जाने क्यों रखते हैं गुप्त.//-----------> यह हर विधा/विद्या की विडम्बना है. सादर 

आदरणीय अरुण भाईजी

आपकी रचना हम पाठकों के लिए सीखने का एक जरिया है। आल्हा छंद बारीकियाँ और खूबियाँ दोनो इसमें है। हार्दिक बधाई।

आल्हा छंद

अस्ताचल को हौले हौले ,लौट रहे हैं दिनकर राज ।
धूमिल होतीं कनक रश्मियाँ ,पवन बसंती छेड़े साज ।
डटे हुए हैं रण में अब तक ,भारत माँ के सच्चे वीर ।
दिखा रहे हैं कौशल अपना ,बंधे नियमों से धर धीर ।

बिना पंख के आसमान में ,भरते हैं देखो परवाज़ ।
ठान लिया इक नई सुबह का ,करके मानेंगे आगाज़ ।
देशभक्ति का जज़्बा भर के ,चमकाई ऐसी तलवार ।
कटे खचाखच अरि का मस्तक ,कभी न कम हो इसकी धार ।

सिखा रहा है वीर शिष्य को ,उलट पलटकर करना वार ।
कैसे बचना है दुश्मन से ,नहीं हाथ जब हो तलवार ।
बांधो कपड़ा एक हाथ पर ,भटकाओ दुश्मन का ध्यान ।
मौका देख झपट लो खंजर ,रह जाये दुश्मन हैरान ।

चारों ओर अमन के दुश्मन ,बिछा रहे हैं अपना जाल ।
अब भी जागो वीर सपूतों ,विफल करें हम उनकी चाल ।
युद्ध नहीं यह खेल हमारा ,कहें शान से सीना तान ।
मिला विरासत में पुरखों से ,भारत की असली पहचान ।

'मौलिक व अप्रकाशित "

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service