For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घनाक्षरी (कवित्त) लिखे के प्रयास भोजपुरी में कईले बानी, रउआ लोगन से निवेदन बा कि आपन विचार से अवगत कराई सभे कि हमार प्रयास केतना सफल बा |


 

हां में हां मिलावे जेहि, बतिया बनावे जेहि,

विश्वास ओकरा पर, कबहू करिहा |

 

आपन जतावे जेहि, बहुते लगावे जेहि,

वोकरा से कुछऊ , जिन आस करिहा | 


 

मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,

वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |


नियालय देवालय, दूनो एक जईसन,

ठाढ़ होके उहाँ जनि, बकवास करिहा ||

 

गणेश जी "बागी"

हमार पिछुलका पोस्ट => कुहकत बाड़ी "माई भोजपुरी"

Views: 2651

Replies to This Discussion

Ati sundar Bagi sahab. Bhojpuri me ek or yogdan.
बहुत बहुत धन्यवाद आनंद भाई |
आदरणीया वंदना जी, आप जैसी फनकारा की सराहना बहुत मायने रखती है, बहुत बहुत धन्यवाद |
Kavita niman baa, lekin vichar me tani sanshodhan k gunjaish baa... 'mehari' kauno alaga jeev-jeevanu naikhe... jaise mard vaisahin mehraru... chal-andaz kehu k gadbad ho sakela, mard hokhe va mehraru! Rachanatmak sakriyata k khatir BADHAI...

आदरणीय श्याम बिहारी भईया, राउर कहल सही बा , बाकिर लेखक जवन अनुभव करेला उ लिखेला, इ संभव बा की हर जगह लागू ना होखे, इ त लेखक के व्यक्तिगत अनुभव बा, सबकर सहमति जरुरी नईखे | रचना के सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद |

 

वाह बागी भैया वाह!!!

 

 मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,

वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |

 

घनाक्षरी/कवित्त का आनंद तो सुनने में ही आता है| अगर हो सके तो इसे रिकॉर्ड करके लगाइए ....कसम से मज़ा आ जायेगा|

राणा भाई आपके सुझाव के अनुसार इस घनाक्षरी को रिकॉर्ड कर ऊपर में प्लेयर लगा दिया हूँ , जरा सुनिए और बताइए कैसा लगा |
jai ho jandar sandar manmokat lajabab fir se jai ho

बातऽहि ले बात कहि बात जउन बनि गइल... असलि जे बात हऽ ई बढ़ि गइल बतिया..
कहीं भाई बाग़ी आजु, कहीं चाहें चुपि जाईं.. लुब्बेलुबाब हजे ऊहे रही बतिया.. ...   का? .. आकि, जवन हमनी के पुरनिया कहि गईल बाड़े.. ऊहे सत्त.. ऊहे सनातन.. आ ओही के खूँटा.. आ ओह खूँटा के जमगर ठोंक..

राउर बात आ कहे के ढंग-लूर बहुते मजगर लागल बा. एह पवित्र कोशिश खातिर रउआ बधाई... आ सुभे-सुभ.

//मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,
वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |//
ई पंक्ति के तासीर ऊ एकदम नइखे जवन एक झटका में बुझाता.. भा लउकऽता.

अइसना इशारा आ कथ्य के सोरि (जड़) कबीरबाबा, तुलसीबा, रैदासबाबा (रविदास) आ गुरुनानकदासजी अस समाजसुधारकन के कहलकी बतियन से खाद-पानी पावेला..
एक हालि फेरु से बहुत-बहुत बधाई.

आहा ! सौरभ भईया, अइसन प्रतिक्रिया पाके केकर मन दोहर ना होई, साच कही त मन अघा गइल, रउआ  रचना के आत्मा मे घुस के आपन टिप्पणी दिहले बानी, हमनी  के बहुत सौभाग्यशाली बानी जा जे रौआ नियर विद्वान हमनी के बीच बानी, बहुत बहुत आभारी बानी हम रा उ र  |
Badhiya prayog ba. Gramy prachalit kahawat k le k likhal gail ba. Nik lagal.
बहुत बहुत धन्यवाद आशीष भाई |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service