For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घनाक्षरी (कवित्त) लिखे के प्रयास भोजपुरी में कईले बानी, रउआ लोगन से निवेदन बा कि आपन विचार से अवगत कराई सभे कि हमार प्रयास केतना सफल बा |


 

हां में हां मिलावे जेहि, बतिया बनावे जेहि,

विश्वास ओकरा पर, कबहू करिहा |

 

आपन जतावे जेहि, बहुते लगावे जेहि,

वोकरा से कुछऊ , जिन आस करिहा | 


 

मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,

वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |


नियालय देवालय, दूनो एक जईसन,

ठाढ़ होके उहाँ जनि, बकवास करिहा ||

 

गणेश जी "बागी"

हमार पिछुलका पोस्ट => कुहकत बाड़ी "माई भोजपुरी"

Views: 2662

Replies to This Discussion

Ati sundar Bagi sahab. Bhojpuri me ek or yogdan.
बहुत बहुत धन्यवाद आनंद भाई |
आदरणीया वंदना जी, आप जैसी फनकारा की सराहना बहुत मायने रखती है, बहुत बहुत धन्यवाद |
Kavita niman baa, lekin vichar me tani sanshodhan k gunjaish baa... 'mehari' kauno alaga jeev-jeevanu naikhe... jaise mard vaisahin mehraru... chal-andaz kehu k gadbad ho sakela, mard hokhe va mehraru! Rachanatmak sakriyata k khatir BADHAI...

आदरणीय श्याम बिहारी भईया, राउर कहल सही बा , बाकिर लेखक जवन अनुभव करेला उ लिखेला, इ संभव बा की हर जगह लागू ना होखे, इ त लेखक के व्यक्तिगत अनुभव बा, सबकर सहमति जरुरी नईखे | रचना के सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद |

 

वाह बागी भैया वाह!!!

 

 मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,

वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |

 

घनाक्षरी/कवित्त का आनंद तो सुनने में ही आता है| अगर हो सके तो इसे रिकॉर्ड करके लगाइए ....कसम से मज़ा आ जायेगा|

राणा भाई आपके सुझाव के अनुसार इस घनाक्षरी को रिकॉर्ड कर ऊपर में प्लेयर लगा दिया हूँ , जरा सुनिए और बताइए कैसा लगा |
jai ho jandar sandar manmokat lajabab fir se jai ho

बातऽहि ले बात कहि बात जउन बनि गइल... असलि जे बात हऽ ई बढ़ि गइल बतिया..
कहीं भाई बाग़ी आजु, कहीं चाहें चुपि जाईं.. लुब्बेलुबाब हजे ऊहे रही बतिया.. ...   का? .. आकि, जवन हमनी के पुरनिया कहि गईल बाड़े.. ऊहे सत्त.. ऊहे सनातन.. आ ओही के खूँटा.. आ ओह खूँटा के जमगर ठोंक..

राउर बात आ कहे के ढंग-लूर बहुते मजगर लागल बा. एह पवित्र कोशिश खातिर रउआ बधाई... आ सुभे-सुभ.

//मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,
वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |//
ई पंक्ति के तासीर ऊ एकदम नइखे जवन एक झटका में बुझाता.. भा लउकऽता.

अइसना इशारा आ कथ्य के सोरि (जड़) कबीरबाबा, तुलसीबा, रैदासबाबा (रविदास) आ गुरुनानकदासजी अस समाजसुधारकन के कहलकी बतियन से खाद-पानी पावेला..
एक हालि फेरु से बहुत-बहुत बधाई.

आहा ! सौरभ भईया, अइसन प्रतिक्रिया पाके केकर मन दोहर ना होई, साच कही त मन अघा गइल, रउआ  रचना के आत्मा मे घुस के आपन टिप्पणी दिहले बानी, हमनी  के बहुत सौभाग्यशाली बानी जा जे रौआ नियर विद्वान हमनी के बीच बानी, बहुत बहुत आभारी बानी हम रा उ र  |
Badhiya prayog ba. Gramy prachalit kahawat k le k likhal gail ba. Nik lagal.
बहुत बहुत धन्यवाद आशीष भाई |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
24 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
49 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
3 hours ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service