For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनिश्चित भविष्य (कविता) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

कुण्ठित व्यथित
या हुए
व्यथित कुण्ठित !

विघटित संगठित
या हुए
संगठित विघटित !

अघटित घटित
या हुआ
घटित अघटित !

निश्चित अनिश्चित
या है
अनिश्चित निश्चित
भविष्य
देश का !

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 782

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Uma Vishwakarma on September 11, 2017 at 12:19pm

अच्छा सवाल है ? बधाई स्वीकार करें |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 29, 2017 at 6:20am
मेरी इस काव्य रचना के अनुमोदन व हौसला अफजाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद् आदरणीय महेन्द्र कुमार जी।
Comment by Mahendra Kumar on April 6, 2017 at 11:58pm
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, बढ़िया वैचारिक कविता हुई है। मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।

कुण्ठित व्यथित
या हुए
व्यथित कुण्ठित?

विघटित संगठित
या हुए
संगठित विघटित?

अघटित घटित
या हुआ
घटित अघटित?

निश्चित अनिश्चित
या है
अनिश्चित निश्चित
भविष्य
अपने देश का?

सादर।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 6, 2017 at 10:10pm
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।
Comment by Neelam Upadhyaya on March 27, 2017 at 2:47pm

आदरणीय उस्मानी साहिब, देश की  वर्तमान दशा को दर्शाती सुंदर कविता । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 25, 2017 at 3:27pm
मेरी यह कविता आप जैसे नियमित पाठकों को भी पसंद आई, बहुत खुशी हुई। हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ साहब, जनाब तस्दीक़ अहमद खान साहब व जनाब मोहित मुक्त जी।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 19, 2017 at 7:33pm

मुहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , अच्छा संदेश देती हुई सुंदर
लघु कविता के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ---

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2017 at 6:16pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, आज देश का भविष्य उहा-पोह की स्थिति में है । बहुत अच्छी लघु कविता में अपने भावों का अंकन किया आपने । बधाई क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service