For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (दोस्तों की महरबानी हो गई )

ग़ज़ल (दोस्तों की महरबानी हो गई )
----------------------------------------------
फ़ाईलातुन--फ़ाईलातुन --फाइलुन

यूँ न उनको बदगुमानी हो गई |
दोस्तों की महरबानी हो गई |

भूल बचपन के गये वादे सभी
उनको हासिल क्या जवानी हो गई |

नुकताची को क्या दिखाया आइना
उसकी फ़ितरत पानी पानी हो गई |

यूँ नहीं डूबा है मुफ़लिस फ़िक्र में
उसकी बेटी भी सियानी हो गई |

अजनबी के साथ क्या कोई गया
ख़त्म उलफत की कहानी हो गई |

रास्ता जब से सदाक़त का चुना
और मुश्किल ज़िंदगानी हो गई |

कुछ तो है तस्दीक़ उनकी शक्ल में
यूँ नही दुनिया दिवानी हो गई |

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 545

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 21, 2017 at 9:59pm

मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
अफज़ाइ का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ----

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 21, 2017 at 9:59pm

मुहतरम जनाब रवि साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
अफज़ाइ का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ----


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 21, 2017 at 3:35pm

आदरणीय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , सभी अशआर खूब कहे हैं ... हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Ravi Shukla on March 21, 2017 at 11:53am

आदरणीय तस्‍दीक साहब बहुत अच्‍छी अौर असरदारगजल कहीं आपने बहुत बहुत मुबारक बाद आपको इस गजल के लिये । सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 19, 2017 at 7:41pm

मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
अफज़ाइ का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2017 at 6:37pm
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । शेर दर शेर दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service