For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षा के पंख लगे जब मानव तन में
रंक बने राजा हमारे देश के शासन में
झूमता हृदय सबका खुशी से उमंग में
संभव है सब कुछ आज इस जगत में
धरती को नापे डाले मात्र एक क्षण में
सागर को कैद करले अपनी मुट्ठी में
हिमालय जीत का स्वप्न रखे मन में
अपने यश की पताका गाड़दे अंबर में
भ्रम सारे टूट जाएँ जो फैले समाज में
नफरत मिट जाएँ आपसी व्यवहार में
विकास की नदी बहा दे अपने देश में
समता की फसल खूब लहरे समाज में
आज ममता, भाईचारा दिखे समाज में
करुणा का सागर भरा सब के दिल में
दादुर मोर कोकिला सब नाचते बन में
मानवता के सारे दुश्मन रोते बाजार में
नारी भी कम नहीं प्रतिस्पर्धा के युग में
पुरुषो को पीछे छोड़ा इस कठिन दौर में
शिक्षा के पंख लगे जब मानव तन में
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on February 21, 2017 at 3:14pm

आपको सहृदय आभार स्वीकार हो अपने मेरी रचना को पढ़ा और अपने अमूल्य विचार दिये मैं आपका शुक्र गुजार हूँ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 21, 2017 at 12:31pm

शिक्षा के महत्व को दर्शाती रचना के लिए बधाई 

Comment by Ram Ashery on February 19, 2017 at 8:40pm

आपको सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ अपने मेरे विचारों को अपना अमूल्य समय देकर पढ़ा और मेरा उत्साह वर्धन के लिए एक बार फिर से बधाई स्वीकार हो 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 19, 2017 at 8:07pm
आदरणीय राम आश्रय जी इस सकारात्मक सोच प्रधान रचना लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by नाथ सोनांचली on February 17, 2017 at 10:26pm
आदरणीय राम आश्रय जी सादर अभिवादन स्वीकार करें, सकारात्मक सोच को उद्घृत करती रचना के लिए दिल से अनेकानेक बधाइयाँ स्वीकार कीजिए ।
Comment by Mohammed Arif on February 17, 2017 at 5:38pm
आदरणीय राम आश्रय जी आदाब, सकारात्मक सोच को उद्घृत करती रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
17 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service