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(माँ रमा बाई को यह कविता समर्पित )

माँ रमा बाई जी को कोटि कोटि वंदन

आओ हम सब करें फूलों से अभिनंदन

वक्त की पुकार समर्पित कर दो तन मन

ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित करो वतन

अब समाज में समता लाकर रहेगें हम

नफरत सभी के दिलों से निकाल देगें हम

उनके अधूरे काम को अब पूरा करेगें हम

अज्ञान को संसार से मिटा कर रहेगें हम

जीवन के हर क्षण में याद रहे यह प्रण

टूटे दिलों को जोड़ एक माला बनाएँ हम

खुशियाँ सभी के राह में सदा बिछाएँ हम

देश के विकास को सही अंजाम देगें हम

माँ रमा बाई जी को कोटि कोटि वंदन

आओ हम सब करें फूलों से अभिनंदन ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 3, 2017 at 7:34am

माँ को नमन | 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 1, 2017 at 10:27pm

माँ के लिये ह्रदय से निकले हर शब्द फूल हैं . भाव और शिल्प की चर्चा इस रचना में उचित नहीं प्रतीत होती  .

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