For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुपरिचित साहित्यिक-संस्था ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम (ओबीओ) के लखनऊ चैप्टर ने चैप्टर के संयोजक डॉ. शरदिन्दु मुकर्जी के निर्देशन में दिनांक 22 मई 2016 को स्थानीय डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ, लोक निर्माण विभाग के प्रेक्षागृह में अपना चतुर्थ स्थापना-दिवस मनाया. यह एक-दिवसीय कार्यक्रम तीन सत्रों में सम्पन्न हुआ.

पहला सत्र उत्तरप्रदेश हेल्थ मिशन के वरिष्ठ अधिकारी एवं साहित्यकार डॉ. अनिल मिश्र की अध्यक्षता में ओबीओ के संस्थापक एवं महा-प्रबन्धक श्री गणेश जी ‘बाग़ी’ तथा प्रधान-सम्पादक श्री योगराज प्रभाकर सत्र के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ. सत्र का प्रारम्भ सरस्वती-वन्दना एवं दीप-प्रज्ज्वलन से हुआ. जिसके बाद ओबीओ, लखनऊ चैप्टर की स्मारिका ‘सिसृक्षा’ के द्वितीय अंक का विमोचन एवं लोकार्पण हुआ. आगे, ओबीओ, लखनऊ चैप्टर के संयोजक डॉ. शरदिंदु मुकर्जी ने ‘अंटार्कटिका और भारत : कितनी दूर, कितने पास’ शीर्षक के अंतर्गत अपने बेहतरीन स्लाइड-शो के माध्यम से भारत सरकार के अंटार्कटिका अभियान का रोचक विवरण प्रस्तुत किया. ज्ञातव्य है, कि डॉ. शरदिन्दु मुकर्जी लगातार तीन बार भारत–सरकार के ’अंटार्कटिका अभियान’ के वैज्ञानिक-सदस्य रहे हैं.

दूसरे सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ ग़ज़लकार जनाब एहतराम इस्लाम साहब ने की. सत्र के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री कुँवर कुसुमेश तथा हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक डॉ. नलिन रंजन सिंह थे. इस सत्र में इलाहाबाद से आये हिन्दी तथा भोजपुरी भाषा के साहित्यकार एवं वरिष्ठ कवि श्री सौरभ पाण्डेय ने ‘नवगीत : तथ्यात्मक आधार एवं सार्थकता’ पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें नवगीत विधा से सम्बन्धित कई पहलुओं पर चर्चा हुई.

इसी द्वितीय सत्र में तीन पुस्तकों “अहिल्या-एक सफर” (लेखिका – श्रीमती कुंती मुकर्जी), “नौ लाख का टूटा हाथी” (लेखक – डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव) एवं “मनस विहंगम आतुर डैने” (लेखक – डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव) का विमोचन हुआ. इन पुस्तकों पर क्रमश: डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव, डॉ. नलिन रंजन सिंह तथा डॉ. बलराम वर्मा ने सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की. साथ ही, श्री केवल प्रसाद ‘सत्यम’ विरचित “छन्द कला के काव्य-सौष्ठव” पर गीतिका विधा के प्रवर्त्तक एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओम नीरव ने समीक्षा प्रस्तुत की.

तीसरे एवं अंतिम सत्र में ’लघुकथा’ विधा पर एक कार्यशाला आहूत थी, जिसका संचालन लघुकथा विधा के जाने-माने विद्वान पटियाला, पंजाब से आये श्री योगराज प्रभाकर ने किया. कार्यशाला के अंतर्गत पंद्रह कथाकारों द्वारा लघुकथाओं का पाठ किया गया. इन प्रस्तुतियों पर समीक्षा करने के साथ-साथ श्री प्रभाकर ने इस विधा के मूलभत नियमों और लेखकीय बारीकियों की चर्चा करते हुए कहा कि “लघुकथा विधा में ’काल-खण्ड’ एक ऐसा प्रभावी विन्दु  है, जो लघुकथा को किसी छोटी कहानी से अलग करता है”. कार्यशाला का समापन प्रश्नोत्तरी से हुआ जिसके अंतर्गत रचनाकारों और श्रोताओं की इस विधा से सम्बन्धित विभिन्न शंकाओं का निवारण किया गया.

इसी सत्र के अंतिम भाग में आमंत्रित कवियों द्वारा काव्य-पाठ हुआ. पद्य-विधा की विभिन्न शैलियों में हुए काव्य-पाठ ने इस सुनियोजित उत्सव को स्मरणीय बना दिया. कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता ग़ाज़ियाबाद से आए हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ. धनंजय सिंह ने की. कवि-सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ साहित्यकार एवं शास्त्रीय छन्द-मर्मज्ञ श्री अशोक पाण्डेय ‘अशोक’ तथा नवगीत विधा सशक्त हस्ताक्षर श्री मधुकर अष्ठाना. कार्यक्रम का समापन ओबीओ, लखनऊ चैप्टर के सह-संयोजक श्री केवल प्रसाद ‘सत्यम’ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ.

 

(रपट हेतु विन्दुवत सामग्री, सौजन्य - डॉ. शरदिन्दु मुकर्जी)

Views: 3528

Reply to This

Replies to This Discussion

जी ! सादर प्रणाम आदरणीय प्रभाकर जी.

एक दिलचस्त वाक़या बताना चाहूँगा आ० सौरभ भाई जीI  आयोजन प्रारंभ होने से पूर्व मैं आ० धनंजय सिंह जी को ओबीओ पर आयोजित होने वाली लघुकथा गोष्ठी के बारे में बता रहा थाI  वहां मौजूद एक प्रबुद्ध स्थानीय महिला साहित्यकार ने टोकते हुए हिकारत भरे स्वर में मुझे कहा कि:

"लघुकथाएं लिखी तो जा रही हैं, लेकिन उनमे से कोई भी मारक नहीं होतीI"  

यह सुनकर मुझे थोड़ा गुस्सा तो आया, लेकिन मैंने संयत रहते हुए उनसे कहा:

"मोहतरमा! आज आप जो लघुकथाएँ यहाँ सुनेंगी, उसके बाद आपकी यह राय बदल जाएगीI:

आयोजन के तीसरे सत्र में लघुकथा पाठ प्रारंभ हुआ, 15 में से 14 लघुकथाएँ ऐसी थीं कि जिन्हें सुनकर पूरा सभागार तालियों और वाह-वाह से गूँज उठता रहाI संचालन के इलावा मेरी नज़र लगातार उन मोहतरमा पर भी थीI मैंने देख कि वे भी हर रचना की वाहवाही कर रही थींI बहरहाल, कार्यशाला समाप्त होने को हुई हुई I मैंने मँच ही से उन मोहतरमा से पूछा कि अब बताएं हमारी रचनाएँ मारक थीं या नहीं? और उन्होंने इस बात को सहर्ष स्वीकार किया कि वाकई ओबीओ की लघुकथाएं गज़ब की हैं I यही नहीं आयोजन समाप्त होने के पश्चात वे कई लघुकथाकारों से बाकायदा मिलीं और उन्हें बधाई दीI लेकिन असली क्षण तब आया, जब उन्होंने ठंडी सी आह भरकर सबके सामने कहा:

"मुझे अफ़सोस है कि मैंने आजतक लघुकथा क्यों नहीं लिखी?"        

सहमत 

सादर 

उन मोहतरमा से मेरी भी बात हुई थी आदरणीय. वे जबकि सदस्या हैं. किन्तु, कायदे से मंच की गतिविधियों को लेकर सक्रिय कभी नहीं हो सकीं. लखनऊ में मोहतरमा अवश्य क्रियाशील हैं.

आदरणीय अशोक सर जी 

सादर अभिवादन 

मुझे उम्मीद थी कि आपके दर्शन होंगे . 

आशा के साथ फिर मिलेंगे . 

कार्य क्रम  उपयोगी , उत्साह वर्धक रहा . मेरे स्थानीय मित्रों ने आकर मुझे बधायी दी . 

जय हो मंगलमय हो 

सस्नेह 

सादर प्रणाम आदरणीय प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी मैं अवश्य ही आता किन्तु यह तिथि हमारे यहाँ चल रहे सिंहस्थ की समाप्ति के दिन से जुडी हुई है इसलिए अवकाश मिल पाना संभव नहीं था.अवश्य ही कभी अवसर मिला तो मैं वहां उपस्थित होउंगा. सादर.

आयोजन  की  सफलता  हेतु सभी  मित्रजनों  को  बधाई  प्रेषित  है . 

सादर धन्यवाद आदरणीया कान्ताजी. लखनऊ चैप्टर द्वारा आयोजित एक-दिवसीय कार्यक्रम अत्यंत कॉम्पैक्ट लेकिन रोचक था.

सादर

 

इस बेहतरीन और सफल आयोजन के लिये सभी मित्रों को दिल की गहराइयों से मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आदरणीय शरदिन्दु जी की निगरानी में यह आयोजन गरिमामय ढंग से सम्पन्न हुआ, आदरणीय समर साहब

एक वर्ष के प्रथम छः मास में ओबीओ परिवार के दो आयोजन होना, ओबीओ परिवार के साहित्य के प्रति सकारात्मक कदम और समर्पण को इंगित करता है। लखनऊ चैप्टर का प्रतिवर्ष आयोजित वार्षिक समारोह एक प्रेरणा स्त्रोत की तरह हुआ करता है। यह आयोजन भविष्य में कई नए आयोजनों के लिए ओबीओ सदस्यों को प्रेरित करेगा ऐसी आशा है। इस सफलतम आयोजन के लिए समस्त ओबीओ परिवार को हार्दिक बधाई। सादर

आमीन !

शुभ-शुभ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service