For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मज़दूर दिवस (लघुकथा)

 मज़दूर दिवस  – ( लघुकथा )  -

 कारखाने में  मज़दूर दिवस मनाया जा रहा था!  मंच पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान थे! उनके दायीं ओर प्रदेश के मुख्य मंत्री और बायीं तरफ़ कारखाने के मालिक सेठ धनपति लाल मौज़ूद थे!

 कारखाने के  चुंनिंदा कामगारों  को सम्मानित किया जाना था! सर्वश्रेष्ठ कामगार का पुरुस्कार सुखराम को मिलना था! सेठ जी ने माइक पर जैसे ही संबोधित करना शुरू किया! तभी सेठ जी के सैक्रेटरी ने सेठ जी के कान में बताया  “आपके कार्यालय के ए सी को जांच करते समय सुखराम को विद्युत आघात लगा है! वह आपके कार्यालय में बेहोश पडा है”!

सेठ जी ने भी उसी तरह फ़ुसफ़ुसाकर उसे कहा  “उसे वहीं रखो और कुछ प्राथमिक उपचार दे दो! यह खबर गोपनीय रहनी चाहिये”!

कार्यक्रम का समापन  हो चुका था! कारखाने के मुख्य द्वार से नेताओं और  अतिथिओं का काफ़िला   निकल रहा था! सेठ जी  सभी को उपहार देकर विदा कर रहे थे!

उसी समय कारखाने के पिछले द्वार से कारखाने के सर्वश्रेष्ठ कामगार सुखराम की लाश उसके घर भिजवाई जा रही थी!

मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 911

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on May 6, 2016 at 11:36am

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on May 6, 2016 at 11:35am

हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे जी!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 5, 2016 at 3:58pm
आदरणीय --- कथा पर कुछ सटीक टिप्पणियां आयी हैं . मेरी जिज्ञासा यह है कि उस सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार का क्या हुआ और क्या बिना उसे वितरित किये ही सभा समाप्त कर दी गयी . कार्यक्रम का जो मुख्य भाग था वह पूरा ही नहीं हुआ --- बहरहाल कथा का विषय अत्यधिक संवेदनशील है , प्रभावित करता है . ट्रीटमेंट में कुछ श्रम और आवश्यक था .
Comment by pratibha pande on May 5, 2016 at 12:21pm

 मजदूर और किसान ,देश की रीढ़ की हड्डी और वो ही सबसे ज्यादा बेहाल ,क्या कहें इस तंत्र को ,हमेशा की तरह ज्वलंत विषय उठाया है आपने ,बधाई आपको आदरणीय तेजवीर सिंह जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 5, 2016 at 10:51am

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला आसिफ़ साहिबा जी!

Comment by Rahila on May 5, 2016 at 8:41am
शानदार लेखन आदरणीय तेजवीर सर जी! बहुत बधाई ।
Comment by TEJ VEER SINGH on May 3, 2016 at 7:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय ओम प्रकाश जी!

Comment by Omprakash Kshatriya on May 3, 2016 at 5:13pm
अच्छे लोगों की चाहत ऊपर भी होती है. कहावत है- जिस की यहाँ चाहना, उस की वहां चाहना. बेहतर लघुकथा. अंत बड़ा मार्मिक है.
Comment by TEJ VEER SINGH on May 3, 2016 at 4:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 3, 2016 at 4:27pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, बहुत शानदार कथ्य है लेकिन लघुकथा तनिक कसावट चाहती है. गुणीजनों ने भी संकेत किया है. बहरहाल इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service