For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कर्जा
दूर तक सुनहरा रंग चमक रहा है गेहूं की फसल पककर तैयार है। दूर दूर तक जहाँ तक नजर जाती है बस वो बूढा बरगद ही हरियाली का परचम उठाये है वरना हर तरफ सुनहरी चमक से आंखे चुंधिया जाए । मंद मंद बहती पुरवा के साथ गेहूं की बालियां लयबद्ध होकर झूम रही है । सूरज एकदम सर पर सवार है गरमी से बदन जल रहा है । लेकिन रामसुख को तनिक भी परवाह नहीं ,उसका हाथ एकदम तेजी से चल रहा है मानो हाथ में मोटर फिट हो सिर्फ हंसिया की कचर कचर ही गूंज रही है ।
चेहरे के पसीने को गमछे से पोंछकर सर पर रख लिया उसने और सुस्ताने के अंदाज से पीछे पडे घास के ढेर को देखा ।
तीन बोझा हो जाएगा लगभग अब जल्दी से साइकिल पर बांध के दो बोझा अपने यहाँ और एक बोझा मुखियाजी के बथान पर रख आएगा । साइकिल पर बोझा बांधते वक्त गेहूँ की बाली पैर को छू गई अजीब सी सिहरन दौड गई हसरत से देखा उसने खेत की ओर अभी पिछले फसल पर ही तो वो मालिक किसान था इस खेत का । अंतिम समय में बारिश हो गया और पूरी तैयार फसल गोबर हो गई । मुखिया ने कहा की सरकारी मदद मिलेगी उसी चक्कर में घूमता रहा तो महीने भर में खीसे की पाई भी खर्च हो गई । जिला तहसील की ठोकर मिली सो अलग । दो बार तो बोलेरो भाडा करके मुखिया को भी ले गये थे कलेक्टर से मिलने की साहब मदद नहीं तो कम से कम मोहलत ही दिलवा दो बैंक वालों से ।
लेकिन कुछ न हुआ बैंक वालों ने निलामी करादी । वो तो भला हो निलामी में मुखियाजी ने जमीन खरीद ली जो ईज्जत रह गई वरना तो घर भी कुर्क कर लेते । रोज एक बोझ घास पहुंचा कर शायद मुखिया जी के इस अहसान का मोल चुक जाए।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:22pm

यह लघुकथा मन को छू गई। हार्दिक बधाई।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 2, 2016 at 8:28pm
सारे परिदृश्य और दशा को बढ़िया शाब्दिक किया है आपने। बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय कुमार गौरव जी।
Comment by Rahila on April 2, 2016 at 6:34pm
बहुत अच्छा चित्रण गरीब किसान के हालातों का । बहुत बधाई आदरणीय! सादर
Comment by Nita Kasar on April 1, 2016 at 5:11pm
किसान की पीड़ा क्या करें जब फ़सल ख़राब हो जाये,खीसे की पाई (जेब से पैसे )भी ख़र्च हो गई ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद०कुमार गौरव जी ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2016 at 5:02pm

भाई कुमार गौरव जी रचना पसंद आयी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Samar kabeer on April 1, 2016 at 3:12pm
जनाब कुमार गौरव जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी लघुकथा,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
3 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service