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बहुत बढ़िया गिरगिट के प्रतीक का इस्तेमाल किया आपने लघुकथा में, बहुत बहुत बधाई आपको
एक संवेदनशील मुद्दे पर बहुत अच्छी लघु कथा लिखी है आपने आदरणीय शेख़ उस्मानी जी दिल से बधाई लीजिये
अपने-अपने रंग (रंग विषयाधारित)
दिल था कि धौकनी हुआ जाता था । आज हाईस्कूल का रिजल्ट जो आ रहा था । 'हे ईश्वर इस बार तो सुन ही लेना!' आँखे मूंदे मन ही मन प्रार्थना करते हुए शायद ही कोई देवी-देवता बचे हो जिनका आह्वाहन न किया हो उसने ।
सामने कम्प्यूटर पर डाटा लोडिंग की प्रतीक, डमरूनुमा वह आभासी घड़ी ,जितनी बार गुलाटी खाती.. उसका कलेजा मुँह तक आ जाता। पर हुआ वही जिसका डर था उसे। स्क्रीन पर अपने रोल न. के आगे नीले रंग में सेकेण्ड डिवीजन लिखा देख वह सिहर उठा।
'अब हर साल की तरह पूरे साल इस सेकेण्ड डिवीजन का भूत उसका पीछा करता रहेगा | कभी मम्मी की खीझ का रूप धर, तो कभी पापा की फटकार का चोला पहन। और वे पड़ोस वाली आन्टी सांत्वना देने के बहाने न जाने कितनी बार उधेड़ेंगी इस बात को।' सोचते –सोचते उसकी उलझन अब झुँझलाहट में बदलने लगी थी । न जाने कितनी और देर तक वह उसी उधेड़बुन में फंसा रहता अगर विनय अंकल की आवाज़ न सुनाई देती | वह चौंक उठा।
'अपनें बेटे की फर्स्ट आनें की मुनादी पीटने आये होंगे ! सोचते हुए उसनें परदे की ओट से बाहर वाले कमरे में झाँका ।
"भाई बहुत-बहुत मुबारक हो तुम्हे.." कहते हुए पापा विनय अंकल को बधाई दे रहे थे ।
"गोकुल का क्या हुआ?" विनय अंकल का प्रश्न सुन पापा थोडा रुके फ़िर झिझकते हुए बोले "हर बार की तरह सेकेण्ड डिवीजन आया है ।"
पापा को विनय अंकल के सामने इस तरह शर्मिंदा महसूस करते हुए देख मारे शर्म के उसका चेहरा काला पड़ने लगा। घबरा कर उसनें आँखे मूँद ली। अब उसे अपना भविष्य अंधकारमय प्रतीत होने लगा।
तभी विनय अंकल की आवाज़ सुनाई दी " ये इतने सारे सुनहरे कप और शील्ड किसके है ? "
"हमारा गोकुल आर्ट कम्पटीशन में हर साल फर्स्ट आता है " इस बार पापा-मम्मी समवेत चहके।
पापा-मम्मी की आवाज में पहली बार अपने लिए फ़ख्र छलकते हुए सुन उसे लगा जैसे उसकी सेकेण्ड डिवीजन के डरावने नीले रंग को, आर्ट कम्पटीशन में उसके द्वारा जीते गए कप और शील्ड के सुनहरे रंगों ने अभी-अभी ढक लिया हो।
गहरी सांस लेते हुए उसने आँखे खोल दीं । उसके चेहरे पर मुरझाई मुस्कान फ़िर से हरी होकर लहलहाने लगी थी ।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
आदरणीय सुधीर जी, बहुत ही प्रभावोत्पादक लघुकथा हुई है. कथ्य पुराना है किन्तु कथानक और आपकी शैली ने लघुकथा को जीवंत कर दिया है. मुझे व्यक्तिगत तौर पर यह लघुकथा बहुत पसंद आई. इस शानदार प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई.
पापा-मम्मी की आवाज में पहली बार अपने लिए फ़ख्र छलकते हुए सुन उसे लगा जैसे उसकी सेकेण्ड डिवीजन के डरावने नीले रंग को, आर्ट कम्पटीशन में उसके द्वारा जीते गए कप और शील्ड के सुनहरे रंगों ने अभी-अभी ढक लिया हो।-- वाह बहूत सार्थक विश्लेषण. बधाई आपको
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