For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसे कहें विदा और करें किसका स्वागत जतन।

200

वही रवि, वही किरण, 

वही धरा, वही गगन,

शीत के पुनीत कर्म में जुड़ा वही पवन।

 

वही रजनी, वही दिवा, 

वही संध्या , वही उषा,

मयंक भी भटक रहा लिये सतत जिजीविषा।

 

पुरा वही, वही नया , 

कहें सभी नया, नया,

बदल रहे हैं मात्र अंक, बदल रही सतत प्रभा।

 

इसी गणन में अटका मन 

निहारता रूपान्तरण,

किसे कहें विदा और करें किसका स्वागत जतन।

 

मौलिक  एवं अप्रकाशित 

०१ जनवरी २०१६

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr T R Sukul on January 4, 2016 at 6:03pm

आदरणीय कबीर साहब ! रचना की प्रशंसा करने के लिए कोटिशः धन्यवाद। 

Comment by Dr T R Sukul on January 4, 2016 at 6:03pm

आदरणीय शेख साहब ! रचना को पसंद करने और उसपर अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए विनम्र आभार।

Comment by Dr T R Sukul on January 4, 2016 at 6:03pm

रचना की सराहना के लिए अपार धन्यवाद आदरणीय दुबे जी !

Comment by Samar kabeer on January 2, 2016 at 3:23pm
जनाब डा.टी.आर.सुकुल जी आदाब,बहुत अच्छा लिखते हैं आप,इस प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें |
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 2, 2016 at 9:17am
कड़वी सच्चाई लिए यथार्थ का बढ़िया चित्रण हुआ है बेहतरीन रचना में, नकारात्मक पक्ष पुनः चिंतन करने को प्रेरित करता है इस दुविधा वाली परिस्थिति से बाहर आने के लिए । तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय त्रैलोक्य रंजन शुक्ल जी ।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2016 at 8:17pm

सुंदर रचना बधाई आ.  Dr T R Sukul जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service