For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है कला,मिट्टी से मैं,
सोना उगाना जानता हूँ।
पुत्र हूँ किसान का,
मैं हल चलाना जानता हूँ।।

ताप से दिनकर के मैं
तपकर कभी पिघला नहीं
रोक सकती हैं नहीं
मुझको मचलती भी बयारें

प्रात हो या रात,रहता
मैं सदा ही मस्तमौला
बरखा मूसलाधार चाहे
हलकी-फुल्की हों फुहारें

काल के भी गाल से,
मैं लौट आना जानता हूँ..!

लहलहाती है फसल जब
मैं ख़ुशी से झूमता हूँ
संग मेरे झूमते हैं
प्रकृति के सब नज़ारे

ये धरा माँ-सी मेरी
मुझको सदा पुचकारती है
बैठकर गोदी में इसकी
भूलता हूँ दुःख मैं सारे

बाँट कर मैं प्यार को
,यूं प्यार पाना जानता हूँ..!

है कला,मिट्टी से मैं,
सोना उगाना जानता हूँ।
पुत्र हूँ किसान का,
मैं हल चलाना जानता हूँ।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
~
~
जयनित कुमार वर्मा 'जय'
अररिया,बिहार

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 5, 2015 at 5:02pm

आदरणीय जयनित जी ..ग्रामीण पृष्ठ भूमि का सुंदर चित्रण करता शानदार गीत ..इस गीत के लिए मेरी तरफ से ढेरों बधाई सादर 

Comment by जयनित कुमार मेहता on October 4, 2015 at 5:53pm
धन्यवाद आ. पंकज जी.. मैं भी एक किसान (का पुत्र) ही हूँ..
तभी तो ये पंक्तियाँ निकल पायीं मेरी लेखनी से.. :-)
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 4, 2015 at 4:00pm
बहुत ही बढ़िया,किसान के भाव चित्रित करते गीत के लिये बधाइयाँ
Comment by जयनित कुमार मेहता on October 3, 2015 at 7:55pm
मेरे शब्द आपलोगों को प्रभावित कर सके, एक नव-रचनाकार को और क्या चाहिए..?
रचना पर उत्साहजनक प्रतिक्रिया देने हेतु बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूँ आप सब का..
निवेदन है,अपना स्नेह यूँ ही बनाएं रखें..!!
Comment by pratibha pande on October 3, 2015 at 6:18pm

सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय 

Comment by कंवर करतार on October 3, 2015 at 4:13pm

 किसान को चित्रित करते अति सुंदर गीत पर हार्दिक बधाई I

Comment by Shyam Narain Verma on October 3, 2015 at 1:27pm

इस खूबसूरत  रचना की हार्दिक बधाई

सादर 

Comment by जयनित कुमार मेहता on September 22, 2015 at 7:10pm

हृदय से आपका आभार प्रकट करता हूँ,कि आपको मेरी रचना पसंद आई..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2015 at 9:14pm

आदरणीय , मिट्टी से जुड़े इस गीत के लिये आपको हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
40 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
49 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service