For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न्यूज़ (लघुकथा) - डॉo विजय शंकर

" अरे यार ये टीo वीo चैनेल वाले भी बस क्या क्या दिखाते रहते हैं , हफ़्तों - महीनों। कभी किसी बाबा को , कभी किसी स्वामिनी को या फिर पारिवारिक रंजिशें।
बस यही देश की न्यूज़ रह गई है ? "
" उनकीं नज़र में यही न्यूज़ है , वो बचपन में पढ़े थे न , कुत्ता आदमी को काटे तो न्यूज़ नहीं होती है , हाँ , आदमी कुत्ते को काटे तो न्यूज़ होती है , किसी बड़े खबरची ने कहा है।"
" पता नहीं , यार , हम तो कभी कुत्ते को काटे नहीं , वो हमारे सामने काट के दिखाता तो पता चलता , उसे भी और हमें भी। "

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 6, 2015 at 9:28pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2015 at 8:49pm

आदरनीय विजय भाई , हालिया चल रहे न्यूज चैनलों पर अच्छी लघुकथा कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 6, 2015 at 8:11pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , बिलकुल सही कहा आपने , न्यूज़ में आने के लिए ही नहीं , कहीं भी नज़र में आने के लिए कुछ न कुछ ऊट- पटांग करना ही जरूरी होता जा रहा है , सीधे सच्चे मार्ग पर चल कुछ अच्छा करने वालों की तो कोई खबर लेता ही नहीं।लघु-कथा पर आपकी उपस्थिति एवं शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद , सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 6, 2015 at 2:34pm

वो कुत्ते को ही काट रहे हैं, आदरणीय विजय शंकरजी ! 

आपने सामान्य दैनिक व्यवहार से अच्छी लघुकथा निकाली है. हृदय से शुभकामनाएँ .. 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 6, 2015 at 2:30pm
आदरणीय सुश्री अर्चना त्रिपाठी जी , लघु-कथा की स्वीकृति के लिए आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Archana Tripathi on September 6, 2015 at 12:55am
बहुत ही बेहतरीन लघुकथा ,हार्दिक बधाई डॉ विजय शंकर जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 5, 2015 at 10:33pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय नीरज कुमार नीर जी , सादर।
Comment by Neeraj Neer on September 4, 2015 at 8:46pm

bआहूत सुंदर सार्थक एवं सामयिक रचना 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 4, 2015 at 7:38pm
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी , रचना को स्वीकार करने के लिए आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर .
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 4, 2015 at 7:37pm
आदरणीय सुश्री कान्ता रॉय जी , रचना को स्वीकार करने और उसकी इतनी विस्तृत व्याख्या के लिए आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service