For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम क्या कर रहे हैं -- डॉo विजय शंकर

देश बड़ा है , महान है ,
कहाँ है ,
हर एक तो अपने परिवेश
से परेशाँ है ,
सब अपनी अपनी पहचान
बता रहे हैं ,
दूसरे का अस्तित्व ही
नकार रहें हैं ,
स्वयं को खुद ढूंढ
नहीं पा रहे हैं ,
न अपने को समझा
पा रहे हैं ,
न दूसरे को समझा
पा रहे हैं ,
भटके हुए दूसरे को
रास्ता दिखा रहे हैं ,
कैसे कैसे टुकड़ों में
बँट रहे हैं ,
टुकड़ा टुकड़ा
लड़ा रहे हैं ,
कह रहे हैं हम
देश बना रहे हैं ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 29, 2015 at 5:11am
आदरणीय सुशील सरना जी , कविता को वर्तमान और अतीत से जोड़ कर इतनी विस्तृत व्याख्या के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by Sushil Sarna on August 28, 2015 at 2:02pm

टुकड़ा टुकड़ा
लड़ा रहे हैं ,
कह रहे हैं हम
देश बना रहे हैं ॥
वाह आदरणीय  Dr. Vijai Shanker jee एक हकीकत को बयां करती इस सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई। सर यही तो इनकी रोटी है … ब्रिटिश राज कहां गया है … आज भी वो कहीं न कहीं किसी मानसिकता में टुकड़ों के राज को ज़िंदा रखे हैं। न जाने कब कोई कुर्सी एक भारत की लिए जियेगी -एक भारत के लिए लड़ेगी ?

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 28, 2015 at 11:49am
प्रिय मिथिलेश जी , प्रयास है , करता हूँ। कहीं तो सार्थकता मिलेगी , वर्ना भ्रम भी अच्छे हैं , लोग तो हर हाल में खुश रहते हैं , वे भी खुश हैं जो समय के साथ हैं , वे भी , जो समय से बहुत पीछे हैं , बाँसुरी बजा रहे हैं , मस्त हैं। रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 28, 2015 at 11:40am
आदरणीय महिर्षि त्रिपाठी जी , आपने रचना की बड़ी सही विवेचना की है , आभार , प्रशस्ति के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 28, 2015 at 11:37am
आदरणीय हर्ष महाजन जी , रचना को सम्मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार। विवेचना हेतु धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 28, 2015 at 1:45am

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, आपकी रचनाएँ गंभीर चिंतन का परिणाम हुआ करती है. इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by maharshi tripathi on August 27, 2015 at 8:27pm

स्वयं को खुद ढूंढ
नहीं पा रहे हैं ,
न अपने को समझा
पा रहे हैं ,,,,,,,,,,,,बिलकुल सही है अगर इन दोनों में से एक भी गुण सभी मनुष्यों में हों तो देश के साथ -साथ,व्यक्तित्व भी सुधरेगा ,इस रचना हेतु आपको बधाई | 

Comment by Harash Mahajan on August 27, 2015 at 2:04pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी सही कहा आपने.....सभी अपने में मसरूफ हैं....महान सिर्फ कहने भर से नहीं कर्म करने से है....बहुत ही सार्थक कृति आदरणीय !! मेरी जानिब बधाई इस सुंदर पेशकश पर | सादर !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service