For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - नींद वाली थीं कभी रातें नहीं -- गिरिराज भंडारी

2122 2122 212
आप सीमायें अगर लांघें नहीं
बाड़ हम भी आपकी फांदें नहीं

वो समर के वास्ते तैयार हैं
हाथ मेरे आप यूँ बांधें नहीं

हक़ हलाली की कोई रोटी दिखा
भीख से जी कर तो यूँ नाचें नहीं

शेर बन के सामने आजा कभी
गीदड़ों सी पीठ पर घातें नहीं

चैन खातिर दिन तरसता रह गया
नींद वाली थीं कभी रातें नहीं

दिल पढ़ें , नज़रें पढ़ें , आँसू पढ़ें
अस्लिहा के बाब यूँ बांचें नहीं
अस्लिहा – हथियारों , बाब – अध्याय

आप इशारों को समझ के देखिये
सिर्फ मेरी उँगलियाँ देखें नहीं
***********************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 14, 2015 at 11:52pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by दिनेश कुमार on August 14, 2015 at 7:05pm
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिल से दाद आदरणीय गिरिराज सर जी। वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 5:25pm

आदरणीयनरेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।

Comment by narendrasinh chauhan on August 13, 2015 at 5:08pm

खूब सुन्दर ग़ज़ल 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 4:18pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 13, 2015 at 4:14pm

आदरणीय गिरिराज सर बढ़िया ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद हाज़िर है.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 4:06pm

आदरणीय सुशील भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 4:04pm

आदरणीय सुलभ भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by Sushil Sarna on August 13, 2015 at 3:51pm

आप सीमायें अगर लांघें नहीं

बाड़ हम भी आपकी फांदें नहीं
… क्या बात है क्या बात है सर .... जिस ग़ज़ल के ऐसे खूबसूरत अशआर हों उसपे क्यों न दिल निसार हो जाए … हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।

Comment by Sulabh Agnihotri on August 13, 2015 at 3:46pm

दिल पढ़ें , नज़रें पढ़ें , आँसू पढ़ें
अस्लिहा के बाब यूँ बांचें नहीं -- क्या बात है आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service