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आ भाई साहब , अब देखिए . शायद कुछ बात बन गई हो .
लघुकथा – बुनियादी संस्कार
“पासपोर्ट की जाँच करवाने गया है. थोड़ी देर में अमेरिका रवाना हो जाएंगे. मगर यूं तक नहीं कहा है कि मैंने अपने हिस्से का मकान बेच दिया है.” पत्नी ने देवर पर चिढ़ते हुए कहा.
“अरे तू जाने दे. उस के हिस्से का मकान ही तो बचा था. हमारे हिस्से का मकान तो हम पहले ही बेच चुके है.”
“वह मकान पिताजी के केंसर के इलाज के लिए बेचा था. वे उस के भी पिताजी है.”
“तो क्या हुआ ?”
“लोग सही कहते है, विदेशों में जा कर लोग अपने मातापिता और अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं .”
“हो सकता है. तेरी बात सही हो. या उस की कोई मजबूरी रही हो. देख. वो आ रहा है. चुप हो जा.”
उस ने आते ही दोनों के चरण स्पर्श किए और कागज का टुकड़ा पकड़ाते हुए कहा-.
“ मैं जा रहा हूँ. आप मुझे याद करते रहिएगा और मैं आप को. और हाँ. आप यहाँ आनंद से रहिएगा और मैं वहां .ये दलाल का नाम पता और नम्बर है , उसका फोन आयेगा तो दस्तखत के लिए चल दीजियेगा . फिर वो मकान की रजिस्ट्री खुद पहुँचा देगा. ”
उसे जाते हुए देखकर पत्नी ने पति से कहा - "मकान दिखाते समय इसने दलाल से कहा था कि मकान की रजिस्ट्री कर के मकान मालिक को दे देना .”
(मौलिक और अप्रकाशित )
बहुत ही सुन्दरता से प्रवाह से इस कथो को लेकर चले हैं आप अंत की उत्सुकता बनी रहती है किन्तु अंत में आकर कुछ समझने में उलझन सी महसूस कर रही हूँ उस पर्चे में और क्या लिखा था
जिसे पढ़ते ही पतिपत्नी के मन में एक ही सवाल उठा था, ‘ वह कौन था ? जिसे मकान दिखाते समय इस ने दलाल से कहा था कि मकान की रजिस्ट्री कर के मकान मालिक को दे देना .”ये थोडा और स्पष्ट हो जाए तो बेहतरीन लघु कथा होगी ...या हो सकता है मैं ही नहीं समझ पा रही बहुत बहुत बधाई आ० ओम प्रकाश जी .
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आ राजेश कुमारी जी
प्रणाम ।
आप की बात पर मैं भी विचार कर रहा हूँ ।
देवर अपने भाई को कह गया की आप आनंद से रहिएगा । सादर
आ राजेश कुमारी जी , वास्तव में लघुकथा अधूरी थी . अब देखिए . शायद पूरी हो जाए .
हम लोगों की संस्कार की परिभाषा अक्सर अधूरी होती है I आपकी ये कहानी ये ही बात कहती है , सार्थक प्रस्तुति पर बधाई आ० ओमप्रकाश जी
आ प्रतिभा जी , आप की सराहना के लिए ह्रदय ताल से आभार .
बहुत खूब आ. ओमप्रकाश जी। इंसान पूर्वाग्रहों से ग्रस्त हो क्या कुछ सोच लेता है , और असलियत कुछ और निकलती है। वाह। बधाई आपको।
आ नीरज शर्मा जी , आप की समीक्षात्मक टिपण्णी के लिए आप का आभार
आदरणीय ओम प्रकाश जी एक अच्छी लघुकथा पर हार्दिक बधाई आपको !
आ सचिन देव जी , आप को लघुकथा अच्छी लगी. मेरी मेहनत सफल हो गई . आभार आप का
आदरणीय ओमप्रगास भाई जी कथा का साकारात्मक पक्ष आशा की किरण जो जगाए रखने में सफल सिद्ध हुआ है । सादर शुभकामनाएं
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