For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : कैसे कैसे ख़ुशी ढूँढ़ते हैं

बह्र : २१२ २१२ २१२२

 

दूसरों में कमी ढूँढ़ते हैं

कैसे कैसे ख़ुशी ढूँढ़ते हैं

 

प्रेमिका उर्वशी ढूँढ़ते हैं

पर वधू जानकी ढूँढ़ते हैं

 

हर जगह गुदगुदी ढूँढ़ते हैं

घास भी मखमली ढूँढ़ते हैं

 

वोदका पीजिए आप, हम तो

दो नयन शर्बती ढूँढ़ते हैं

 

वो तो शैतान है जिसके बंदे

क़त्ल में बंदगी ढूँढ़ते हैं

आज भी हम समय की नदी में

बह गई ज़िन्दगी ढूँढ़ते हैं

----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 886

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on April 5, 2015 at 12:06pm

बहुत बढ़िया 

Comment by narendrasinh chauhan on April 1, 2015 at 12:22pm

खूब सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2015 at 10:37am
शुक्रिया आ. नीलेश जी
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 8:16am

.

प्रेमिका उर्वशी ढूँढ़ते हैं

पर वधू जानकी ढूँढ़ते हैं

करारा ....बधाई 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 16, 2015 at 10:27am
तह-द-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय सौरभ जी, स्नेह बना रहे।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2015 at 9:33pm

सभी शेर पसंद आये हैं लेकिन इन दो शेरों के लिए विशेष बधाई -

वो तो शैतान है जिसके बंदे

क़त्ल में बंदगी ढूँढ़ते हैं

आज भी हम समय की नदी में

बह गई ज़िन्दगी ढूँढ़ते हैं

आदरणीय धर्मेन्द्रजी, इस ग़ज़ल के लिए दिली दाद स्वीकारिये.

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2015 at 12:59pm
बहुत बहुत शुक्रिया कृष्ण मिश्रा जी
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 26, 2015 at 4:47pm

प्रेमिका उर्वशी ढूँढ़ते हैं

पर वधू जानकी ढूँढ़ते हैं

अहा! क्या बात है..आपकी इन पंक्तियों ने तो मुरीद बना दिया..आपको बधाई! धर्मेद्र भाई जी!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 19, 2015 at 11:06am

बहुत बहुत शुक्रिया somesh kumar  जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 19, 2015 at 11:06am

बहुत बहुत धन्यवाद  laxman dhami जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
11 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service