For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उम्मीद तो 

मुझे अपने आप से भी थी 

उम्मीद तो 

मुझे अपनों से भी थी ... 

सोचता तो 

अपने के लिए भी था 

सोचता तो 

दूसरों के लिए भी था 

सुधार की गुंजाईश 

अपने आप से भी थी 

सुधार की गुंजाईश 

दूसरों से भी थी 

इन्हीं ... 

उहापाहो में

सफर काटता रहा ... 

जब उम्मीद 

अपनी पूरी नहीं हुयी 

सोच अपनी न रही 

सुधार खुद को न पाया 

तो शिकायत 

अब किससे 

और क्यूँ 

जीवन का फलसफा 

यूं ही गुजरता रहा 

और हम कारवां देखते रहे .... 

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 11, 2015 at 8:53pm

आभार डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 11, 2015 at 8:48pm

धन्यवाद भाई महर्षि त्रिपाठी जी ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 11, 2015 at 8:48pm

धन्यवाद मिथिलेश वामनकर जी ... उत्साहवर्धन के लिए ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 11, 2015 at 8:47pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी को आभार .... व नमन ....

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 11, 2015 at 8:45pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे का आभार .... उत्साहवर्धन के लिए ....

Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:16pm

आदरणीय आमोद कुमार श्रीवास्तव जी , सुन्दर रचना , बधाई प्रेषित !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2015 at 8:22pm

सुन्दर प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 26, 2015 at 7:13pm
सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।
Comment by maharshi tripathi on February 26, 2015 at 5:21pm

अच्छी रचना पर आपको बधाई आ.आमोद जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 26, 2015 at 3:05pm

आमोद जी

प्रस्तावना को सही उपसंहार देती इस रचना पर आपको बधाई i सस्नेह i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service