आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,
सादर अभिवादन.
ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 42 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
17 अक्तूबर 2014 से 18 अक्तूबर 2014, दिन शुक्रवार से दिन शनिवार
इस बार के आयोजन के लिए जिस छन्द का चयन किया गया है, वह है – मनहरण घनाक्षरी छन्द
एक बार में अधिक-से-अधिक तीन मनहरण घनाक्षरी छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है.
ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.
[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है.]
मनहरण घनाक्षरी छन्द के आधारभूत नियमों को जानने हेतु यहीं क्लिक करें.
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 अक्तूबर 2014 से 18 अक्तूबर 2014 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा. केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
विशेष :
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अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय सत्यनारायण भाई, चित्रानुसार अच्छी प्रस्तुति हुई है, बधाई स्वीकार करें।
मनहर घनाक्षरी (8,8 -8,7)
उत्तर मध्य रेलवे की एक गाड़ी शेड में
या प्लेटफार्म पर है शान्ति से खडी हुयी I
बोगी बीच छत पर चढाया जब बेटो को
मुखिया की लालसा भी थोडा सा बड़ी हुयी I
पीछे नवजातक को लिए खड़ा बेटा एक
आगे वाले की भी कुछ हिम्मत कड़ी हुयी I
साहस की मूर्ति यह भारतीय नारी भी है
देखो दृढ-व्रत कैसे निज में अड़ी हुयी I
सभी जन यात्रिगण टिकट लिए हैं सब
चाहते जगह वह बोगी बीच पा सके I
एक आदर्श शहरी की गरिमा की तरह
वे भी अपने गंतव्य प्रिय तक जा सके I
रेल का विभाग बांट देता है टिकट किन्तु
देता न जगह जहाँ सभी जन आ सके I
ऐसे क्लास टू से भला जनता का होगा कब
जिसमे सामान सा न आदमी समा सके I
तब छत पर चढ़ यात्रा करने के हित
होता है विवश देश और आम जन है I
रेल मंत्रालय इस सत्य से नयन मूँद
होते प्रति वर्ष लाभ निज में मगन है I
और यह विडंबना भी साथ में गरीब के
उसको उतारते हैं छीन लेते धन है I
ऐसे नीच टी टी ई हैं रेल के सिपाही गण
नोचते जो नित्यमेव मृतक कफ़न है I
(मौलिक व अप्रकाशित)
आदरणीय गोपाल नारायणजी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
आपने चित्र और इसके भाव के अनुसार घनाक्षरियाँ प्रस्तुत की हैं. हार्दिक बधाई.
किन्तु, पदों में शब्दों का संयोजन अभी बहुत सुधार मांगता है. छान्दसिक रचनाओं के कई मुख्य गुणों में प्रमुख गुण उनका सप्रवाह होना ही होता है. यह तभी संभव है कि छन्दों की मात्रिक और वर्णिक नियमावलियों के साथ-साथ श्ब्दों के प्रयोग की अंतर्धारा भी समझी जाये.
प्रस्तुति हेतु पुनः धन्यवाद
सादर
आदरणीय सौरभ जी
बस आशीष और मार्गदर्शन बना रहे i सादर i
आदरणीय गोपाल भाईजी,
आपने तो पूरे चित्र को ही अपनी कल्पना के साथ सुंदर शब्दों में छंद बद्ध कर दिया , कहीं कहीं गेयता / प्रवाह बाधित हुई है। घनाक्षरी की सुंदर प्रस्तुति का सुंदर प्रयास । हार्दिक बधाई ।
अखिलेश जी
आपका आभार i सादर i
आ. डॉ गोपाल नारायण जी सादर इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें
प्रियवर
आपका प्रोत्साहन मेरे लिए मानीखेज है i सादर i
आ० डा. गोपाल नारायण जी बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है घनाक्षरी पर हार्दिक बधाई लीजिये |
आदरणीया
बहुत बहुत आभार i
आदरणीय डॉ० गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
प्रदत्त चित्र को शब्द देने का बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है
हार्दिक बधाई
आदरणीया
बहुत बहुत आभार i
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