परम आत्मीय स्वजन,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 51 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह मशहूर शायर जनाब अब्दुल हामिद 'अदम' मरहूम की एक बहुत ही मकबूल ग़ज़ल से लिया गया है| पेश है मिसरा-ए-तरह
"साहिल के आस पास ही तूफ़ान बन गए "
221 2121 1221 212
मफऊलु फाइलातु मफाईलु फाइलुन
(बह्रे मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ)
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 22 सितम्बर दिन सोमवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 23 सितम्बर दिन मंगलवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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bahut khoob gazal kahi aapne aadarnie Dayaram sethi ji .
बहुत बहुत धन्यवाद अमित कुमार अमित जी। आदरणीय मेरा नाम दयाराम मेठानी है, सेठी नहीं।
Aadarnie galti ke lie Chamaprarthi hoon ,
बधाई हो आदरणीय....
बहुत बहुत धन्यवाद भुवन निस्तेज जी।
आदरणीय दयाराम भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल काप्रयास हुआ है , गिरह का शे र भी बढ़िया है | कुछ मिसरे बे बहर हो रहे हैं , देख लीजिएगा |
धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भंडारी जी। अभी ग़ज़ल की नर्सरी में ही हूं। आप से सहयोग व मार्ग दर्शान की आशाा रखता हूं।
आदरणीय दयाराम सर इस प्रयास के लिये बहुत बहुत बधाई,
आदरणीय गिरिराज सर की बात से मैं भी सहमत हूँ
धन्यवाद आदरणीय शिज्जू शकूर जी।
आदरणीय दयाराम मेठानी साहब, आपके प्रयास से आयोजन आबाद हुआ. बह्र के मामले में थोड़ा और ध्यान देने की आवश्यकता दिख रही है. बहरहाल ये शुरुआती परेशानियाँ हैं.
सादर शुभकामनाएँ.
बहुत बहुत धन्यवाद सौरभ पांडे जी।
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1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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