For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्मृतियाँ और आंसू--डा० विजय शंकर

आँख में आया हरेक आंसू
तेरी वजह से हो ,जरुरी
नहीं होता है .
आँख में पड़ जाये कोई
छोटी सी किरकिरी
तो भी होता है .

दो बून्द आंसू की
एक अधखिला गुलाब,
यही स्मृतियाँ हैं तुम्हारी ,
कोई पर्वत नहीं ,
कोई सागर भी नहीं .
कि संभाल न सकूँ , छिपा न सकूँ ,
कि जिंदगी भर संजों न सकूँ .

हाँ , तुमको अपनी आँखों में जरूर
बसाया था ,और छिपाया भी था,
आंसू की तरह .
एक किरकिरी पड़ी आँख में ,
और तुम जरा भी सह न सके
और लुढक के बह गए
आँसू की तरह .

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 533

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 23, 2014 at 9:34pm
बधाइयों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय जीतेन्द्र जी .
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 23, 2014 at 9:33pm
बधाइयों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2014 at 8:18pm

रचना में बहुत सुंदर भाव उमड़ कर आये है आदरणीय डा. विजय जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 15, 2014 at 12:33pm

बहुत सुन्दर  भाव , बढ़िया रचना , बधाइयाँ , आदरणीय विजय भाई |

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 11, 2014 at 11:36pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 5:41pm

विजय सर i

बहुत सुन्दर और सार्थक i

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 11, 2014 at 8:59am
आदरणीय विजय निकोर जी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 11, 2014 at 8:56am
रचना को पसंद करने के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय महिमा श्री जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 11, 2014 at 8:55am
रचना को स्वीकार करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अखंड गहमरी जी।
Comment by vijay nikore on September 10, 2014 at 11:18pm

अति सुन्दर ! हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
6 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service