For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खाली घर बेसामान रहा हूँ।।

खाली घर बेसामान रहा हूँ।
अपने ही घर दरबान रहा हूँ।।

बदनामी का आलम है ऐसा।
यूँ खुद पे ही अहसान रहा हूँ।।

कभी कभी हँस लेता हूँ यारों।
आखिर मै भी इंसान रहा हूँ।।

अक्सर दिल से खेला करती है।
मै तो केवल सामान रहा हूँ।।

लगता है तुम तो भूल गये हो।
लेकिन मै तो पहचान रहा हूँ।।

वो जो अब मुझको छोड़ गये है।
उनका ही मै अरमान रहा हूँ।।

वो जाने किस शै में दिख जाये।।
अब सारी दुनियाँ छान रहा हूँ।।
**************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 533

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2014 at 12:22am
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी ।।सादर
Comment by vijay nikore on September 10, 2014 at 11:35pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय राम जी।

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2014 at 9:57am
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी।। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 9, 2014 at 8:55pm

सुन्दर ग़ज़ल , बधाइयाँ , आदरणीय राम भाई |

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2014 at 10:17pm
गुमनाम भाई बहुत बहूत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2014 at 10:16pm
हार्दिक आभार आदरणीय गोपाल नारायण जी।। सादर
Comment by gumnaam pithoragarhi on September 8, 2014 at 5:01pm

बहुत बढ़िया ! सुन्दर ग़ज़ल पर शुभकामनाएं ,,,,,,,,,,,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 8, 2014 at 1:16pm

वो जाने किस शै में दिख जाये।।
अब सारी दुनियाँ छान रहा हूँ।।
        बहुत बढ़िया ! सुन्दर !

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2014 at 10:33am
हार्दिक आभार आदरणीय अशुतोष मिश्र जी।।। सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 8, 2014 at 10:12am

आदरणीय  इस सुंदर ग़ज़ल पर मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service