For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" गोल्डन जुबली अंक (Now Closed)

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के "गोल्डन जुबली अंक" अर्थात 50 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. इस बार का मिसरा -ए-तरह हिन्दुस्तान के मशहूर शायर जनाब ज़फर गोरखपुरी साहब की एक बहुत ही मकबूल ग़ज़ल से लिया गया है | पेश है मिसरा-ए-तरह.....

 

"शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "

२१२२ २१२२ २१२२ २१२ १

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन 

(बह्रे रमल मुसम्मन् महजूफ)

रदीफ़ :- के बाद 
काफिया :- आने  (जाने, पाने, परवाने, मस्ताने आदि )

विशेष : मिसरे की ताकतीअ में अंत में एक मात्रा ज्यादा है जो ली गई छूट के अंतर्गत आती है. अशआर के पहले मिसरे बिना इस मात्रा को बढाए भी कहे जा सकते हैं.

मुशायरे की अवधि केवल दो  तीन दिन (केवल इसी अंक हेतु) है -

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 29 अगस्त दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और

दिनांक 31 अगस्त दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी
    (इस कंडिका में उल्लेखित शर्त को केवल इस गोल्डन जुबली अंक हेतु शिथिल कर असीमित ग़ज़ल कहने की अनुमति दी जाती है)
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए.
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें. बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा.
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है.
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएँ. ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी.
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • आयोजन के दौरान संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य नहीं होगा. अत: सदस्यगण  आयोजन की रचनाओं का संकलन आ जाने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें.

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 29 अगस्त दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 21841

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

  गज़ल का मतला बहुत ही प्यारा ,इस पूरी गजल के लिए बधाई 

आदरणीय  मोहन बेगोवाल  जी अापका हार्दिक अाभार 

बदगुमाँ सूरज बहुत था आग बरसाने के बाद
देखो सहमा सा खडा है बदलियाँ छाने के बाद
बहुत खूब ! सूरज के बिम्ब पर बहुत सार्थक कहन शब्द पायी है.

सारे रंग धुंधला गए है आँख भर आने के बाद
नूर नैनों में कहाँ है दिल के भर जाने के बाद
अद्भुत ! जब वृत्तियाँ क्लिष्ट हो जायें तो चित्त में ईश अथवा परम की सत्ता अस्पष्ट हो ही जाती है. इस अत्यंत उच्च विचार को यों शब्दों में ढलते हुए देखना बहुत भला लग रहा है.   

आईने सी दिख रही है अब तो सारी कायनात
मैं भी इस क़ाबिल हुआ हूँ तेरे समझाने के बाद
सही ही है, जब जीवन-तथ्य स्पष्ट हो जायँ, तो फिर कोई भ्रम नहीं रहता. किन्तु, धीरवान और भाग्यशाली ही इस लायक होते हैं जिन्हें गुरुतुल्य महामानव का सान्निध्य मिलता है और वे इस तथ्य को स्पष्ट करना चाहते हैं.  

है नहीं फूलों को अब बागों की आज़ादी नसीब
पूछकर खिलना पड़ा गमलों में आ जाने के बाद
वाह-वाह ! बन्धन को अनुशासन भला कहेगा कौन ? अनुशासन तो अत्यंत विस्तृत और उन्मुक्त जीवन की तैयारी का पर्याय है.  

इश्क़ का गहरा समंदर है तू मेरे यार पर
मैं ज़जीरा बन गया हूँ तुझको अपनाने के बाद
ओह ! इस शेर में जो भावना अभिव्यक्त हुई है वह अवश्य सिहरा देती है.

देखने जैसा है देखो आज दरिया का हुनर
पुल पर आया है बस्ती में कहर ढाने के बाद
निरंकुश प्रशासकों या सामंतों का परिचय सामने आया है जिनपर सामान्य जनों के कुशल-क्षेम का महती दायित्व है.  

खुल गए हैं बंद किस्मत के सभी ताले मेरे
आपने इसपर जरा सा गौर फ़रमाने के बाद
सानी में आपने ? या आप द्वारा ? वैसे इस शेर का कथ्य भी आश्वस्तकारी है.

आज लहरों पर लगी है सैकड़ों पाबंदियां
प्यार से हौले से इस साहिल को सहलाने के बाद
दो आत्मीय जनों की भावनाओं पर पहरा कितना अनुचित है इस पर आपसे सुनना भला लगा आदरणीय.

आपकी इस ग़ज़ल ने बहुत ही ऊँची कहन को शब्दबद्ध किया है आदरणीय कृष्णसिंहजी.
आपको अनेकानेक शुभकामनाएँ और अतिशय बधाइयाँ.
सादर

मतले अंत तक ग़ज़ल पाठक को बाँध कर रखने में कामयाब है ..जितनी तारीफ करूँ कम ही होगी बहुत बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है आपने दिली दाद कबूलें हाँ एक छोटी सी इस्स्लाह ---

खुल गए हैं बंद किस्मत के सभी ताले मेरे

आपने इसपर जरा सा गौर फ़रमाने के बाद----इसमें आपने की जगह आपके कर लीजिये शायद जल्दी  वश आपने लिख बैठे. 

 आपको ढेरों बधाई कृष्ण सिंह जी 

आदरणीय कृष्णा जी
सुंदर ग़ज़ल के लिए ढेर सारी मुबारकबाद

दूसरी ग़ज़ल :-

भूख तक लगती नहीं है रोटियां खाने के बाद I
नींद भी आती नहीं है आँख लग जाने के बाद  II
--
क्या बताऊँ अब भला मैं हाल अपना दोस्तों I
ठण्ड लगती है बहुत अब भैंस नहलाने के बाद II
--
जानते हैं गोंद से भी हैं लगा सकते टिकट  I
पर मज़ा आता बहुत है थूक चिपकाने के बाद II
--
चौंक जाते हैं सभी टाइड सफेदी देखकर I
पहनता हूँ मैं हमेशा बस्त्र धुलबाने के बाद II
--
मर्ज़ भी हसता रहा औ दर्द भी हसता रहा I
जख्म भी हसता रहा हर बार तड़पाने के बाद II
--
जल रहा था तेल पर कहते रहे हम लोग ये I
शम्मा भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद II
.
"मौलिक व अप्रकाशित"
हा हा हा :-))))))))) बेहद बेहद मजाहिया गजल हुयी है। इतने देर तक हंसी आती रही है कि क्या कहिये! थूक से टिकिट जब भी चिपकाएँगे या टाइड से कपड़े धोयेंगे, फिर हँस लेंगे
हँसते हुए बधाइयाँ ही बधाईयाँ लीजिये:-D

aadarnie vedika ji aapko gazal pdh kr hasi aai jo ki uddeshya bhi tha gazal pasand karne kt bahuhanyabaad saadr

  ऐसी प्यारी मजाहिया गज़ल कहने के लिए बधाई 

aadarniy Mohan ji bahut bahut dhanyabaad

Aadarie Mohan ji Bahut bahut dhanyabaad

आ. अमित भाई , इस मजाहिया ग़ज़ल के लिए बहुत बधाइयाँ | बहुत खूब कही है |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर है सादर"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ख़ूब हुई है ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजए गुणीजनों की टिप्पणियों से काफी कुछ…"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से सीखने…"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी  संज्ञान लेने के लिए आभार आपका सुधार कर लेती हूँ सादर"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
20 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"‌आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  कोई तो पूछता ख़ुदा…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ.संजय शुक्ल तल्ख़,  आदाब,  अलग अंदाज है, का ग़ज़ल कहने का,और सराहनीय ग़ज़ल हुई आपकी! आ.…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service