For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुस्कुराती दामिनी सी छल रही हो

जुल्फ हैं लहराते तेरे बदली जैसे

और तुम …..

मुस्कुराती दामिनी सी छल रही हो...

केशुओं से झांकते तेरे नैन दोनों

प्याले मदिरा के उफनते लग रहे

काया-कंचन ज्यों कमलदल फिसलन भरे

नैन-अमृत-मद ये तेरा छक पियें

बदहवाशी मूक दर्शक मै खड़ा

तुम इशारों से ठिठोली कर रही हो

जुल्फ हैं लहराते तेरे बदली जैसे

और तुम ..

मुस्कुराती दामिनी सी छल रही हो

इस सरोवर में कमल से खेलती

चूमती चिकने दलों ज्यों हंसिनी

नीर झर-झर तेरे लव से यों झरें

चूम कर मोती बनाऊं मन करे

मै हूँ चातक तू है चंदा दूर क्यों

छटपटाता चांदनी से मन जले

जुल्फ हैं लहराते तेरे बदली जैसे

और तुम ..

मुस्कुराती दामिनी सी छल रही हो

इस सरोवर में झुकी जब खेल खेले लहर से

देख सब कुछ कांपते अधरों से सारे ये कमल

तू कमलिनी राज सुंदरता करे दिखता यहां

तार वीणा ....मेरा मन झंकृत करे

होश में आऊँ तो गाऊँ प्रेम-धुन मै री सखी

काश नजरें हों इनायत इस नजर से आ मिलें

जुल्फ हैं लहराते तेरे बदली जैसे

और तुम ..

मुस्कुराती दामिनी सी छल रही हो

भोर की स्वर्णिम किरण तू स्वर्ण सी

है सुनहली सर की आभा स्वर्ग सी

देव-मानव सब को प्यारी अप्सरा सी

नृत्य छन-छन पग के घुँघरू जब करें

मन मयूरा नाचता विह्वल सा ये

मोरनी सी तू थिरकती क्यों फिरे

जुल्फ हैं लहराते तेरे बदली जैसे

और तुम ..

मुस्कुराती दामिनी सी छल रही हो

.

मौलिक व अप्रकाशित

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर '५

कुल्लू हिमाचल २४.५.२०१४

५.४५-६.१० पूर्वाह्न

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 28, 2014 at 7:05pm

आदरणीय गिरिराज भाई रचना के श्रृंगार रस आप को अच्छे लगे और आप से बधाईयाँ मिली अति प्रसन्नता हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 28, 2014 at 7:03pm

प्रिय मुकेश जी रचना के श्रृंगार रस के भाव आप को प्यारे लगे सुन ख़ुशी हुयी आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 28, 2014 at 7:02pm

आदरणीया मीना जी प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 28, 2014 at 7:02pm

प्रिय जितेंद्र जी प्रियतमा के श्रृंगार और मनोरम दृश्य आप को अच्छे लगे और आप ने सराहा आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 28, 2014 at 7:00pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी ये श्रृंगार भरी रचना आप को अच्छी लगी और आप ने सराहा स्वागत है
जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 28, 2014 at 6:59pm

प्रिय श्याम नारायण जी रचना आप के मन को छू सकी ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 28, 2014 at 5:45pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , लाजवाब शृंगार रचा की है आपने , बहुत खूब ! बहुत बहुत बधाइयाँ ॥

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 28, 2014 at 2:54pm

 sundar bhaav

Comment by Meena Pathak on May 27, 2014 at 4:08pm

बहुत सुन्दर ....सादर बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 27, 2014 at 11:45am

बहुत सुंदर भाव,हार्दिक  बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service