For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - माँ जो होती है तो घर लगता है ! (अभिनव अरुण)

ग़ज़ल
फाइलातुन फइलातुन फैलुन \ फइलुन
२१२२ ११२२ २२ \ ११२

वर्ना अन्जान शहर लगता है
माँ जो होती है तो घर लगता है |

दौर कैसा है नई नस्लों का,
वक़्त से पहले ही पर लगता है |

है इधर रंग बदलती दुनिया,
मैं चला जाऊं उधर लगता है |

जाने किस दर्द से गुज़रा होगा ,
शेर जज़्बात से तर लगता है |

इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,
दूर से सौ भी सिफर लगता है |

इन चटख फूलों में मकरंद नहीं ,
ये दवाओं का असर लगता है |

इन घरोंदों में ये ख़ामोशी क्यों ,
कागज़ी है ये शजर लगता है |

खाप पंचायतें हैं घर घर में
इश्क़ के नाम से डर लगता है |

जाने किस बात पे खंज़र निकले
बात करते हुए डर लगता है |

* सर्वथा मौलिक \ अप्रकाशित

- ०२०१२०१४ (C)&(P) - अbhinav अrun

Views: 910

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on January 10, 2014 at 11:44am

आदरणीया डॉ साहिबा बहुत आभार और नव वर्ष की मंगल कमनाएँ ..सादर अभिवादन सहित !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2014 at 9:36am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० अरुण जी 

दौर कैसा है नई नस्लों का,
वक़्त से पहले ही पर लगता है |.................वाह! क्या कहने 

है इधर रंग बदलती दुनिया,
मैं चला जाऊं उधर लगता है |........................बहुत खूब 

बहुत बहुत बधाई

Comment by Abhinav Arun on January 9, 2014 at 9:02am

सादर प्रणाम अग्रज श्री इस वर्ष विशेष कृपा - स्नेह और आशीष की वर्षा करें '' सच का परचम '' लहराए इस हेतु प्रयत्न आपको ही करना है ...यकीन है ..और आप है तो फिर फतह होगी ...अल हम्दुलिल्लाह !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 8, 2014 at 11:52pm

भाई अरुण अभिनवजी..
शेर दर शेर कमाल करते गये हैं. वाह !
दूर से सौ का सिफ़र लगना.. वाकई खूब कहा आपने. मज़ा आ गया.

दौर कैसा है नई नस्लों का,
वक़्त से पहले ही पर लगता है.. इस शेर के लिए बहुत-बहुत बधाई.

Comment by Abhinav Arun on January 8, 2014 at 5:37pm

आदरणीया प्रियंका जी बहुत धन्यवाद आपने गज़ल को समय दिया आभारी हूँ !!

Comment by Abhinav Arun on January 8, 2014 at 5:37pm

श्रद्धेय श्री संपादक महोदय ..आपका स्नेह और आशीर्वाद ...दुआ समान है ..ग़ज़ल और गज़लकार आभारी हैं ...सादर प्रणाम निवेदित है !! मार्गदर्शन की सदा आकांक्षा रहती है आपसे आभार !!

Comment by Priyanka singh on January 7, 2014 at 4:34pm
बहुत खूबसूरत अशआर हैं,सर.....बहुत बहुत बधाई आपको....

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2014 at 4:22pm

//इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,
दूर से सौ भी सिफर लगता है |//

लाजवाब !! हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर। बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आ० भाई अरुण जी.

Comment by Abhinav Arun on January 7, 2014 at 7:45am

बहुत शुक्रिया और आभार आदरणीय श्री शिज्जू जी आपकी टिप्पणी मेरी रचना प्रक्रिया को मजबूती देगी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 6, 2014 at 8:08pm

//जाने किस दर्द से गुज़रा होगा ,
शेर जज़्बात से तर लगता है |

इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,
दूर से सौ भी सिफर लगता है |// वाह बेहतरीन अशआर हैं, सौ और सिफर वाली सोच सबसे अलग है

इस खूबसूरत ग़ज़लके लिये आपको बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
12 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
38 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। लघु आकार की मारक क्षमता वाली लघुकथा से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service