For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन का आधार.......

जीवन का आधार........

 

हर सांस

ज़िंदगी के लिए

मौत से लड़ती है

हर सांस

मौत की आगोश से

ज़िंदगी भर डरती है

अपनी संतुष्टि के लिए वो

अथक प्रयास करती है

मगर कुछ पाने की तृषा में

वो हर बार तड़पती है

तृषा और तृप्ति में सदा

इक दूरी बनी रहती है

विषाद और विलास में

हमेशा ठनी रहती है

ज़िंदगी प्रतिक्षण 

आगे बढ़ने को तत्पर रहती है

और उसमें जीने की ध्वनि

झंकृत होती रहती है

हर कदम पे लक्ष्य

बदलते रहते हैं

शह और मात के

इस खेल में जीत के

प्रयास चलते रहते हैं

हार जीने के प्रयास को

आगे ले जाती है

जीत जीवन के नए

लक्ष्य बनाती है

प्रतिक्षण जीने का संघर्ष

ही जीवन का आधार है

संघर्ष का विराम ही

जीवन पृष्ठ का उपसंहार है

 

सुशील सरना

 

''मौलिक एवं अप्रकाशित ''

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2013 at 6:15pm

Arun Sharma jee rachna par aapkee snehil pratikriya aur sujaav ka haardik aabhaar. sheh ko durust kr diya hai...ye tankan kee truti thee...aapka haardik aabhaar

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 28, 2013 at 11:55am

आदरणीय जीवन के उतार चढाव का सुन्दर चित्रण किया है आपने इस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

(शाह और मात के या शय और मात)

Comment by annapurna bajpai on November 27, 2013 at 11:11pm

जीवन दर्शन को शब्द देती आपकी रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई । 

Comment by MAHIMA SHREE on November 27, 2013 at 9:12pm

बहुत खूब ,... जीवन के दर्शन को बेहद खूबसूरती से बयाँ किया आपने ..हार्दिक बधाई

Comment by Sushil Sarna on November 26, 2013 at 8:25pm

Vijay Mishr jee rachna par aapkee snehatmak pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by विजय मिश्र on November 26, 2013 at 5:57pm
अत्यंत सुंदर भाव संयोजन और जीवन के मनोविज्ञान का हृदयहारी दर्शन ! बधाई और आभार सुशीलजी |
Comment by Sushil Sarna on November 26, 2013 at 3:47pm

Meena Pathak jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by Meena Pathak on November 26, 2013 at 1:27pm

बहुत सुन्दर | बधाई स्वीकारें आदरणीय 

Comment by Sushil Sarna on November 26, 2013 at 1:26pm

Thanks Rahul Dev for liking the poem

Comment by Sushil Sarna on November 26, 2013 at 12:35pm

aa.Shijju Shakoor jee rachna par aapke snehankit shabdon ka haardik aabhaar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service