For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़्वाबों की हसीन शाम दें ………

ख़्वाबों की हसीन शाम दें ………


क्यूँ
बेवज़ह की
तकरार करती हो
इकरार भी करती हो
इंकार भी करती हो
खुद ही रूठ कर
छुप जाती हो
अपने ही आँचल में
झुकी नज़रों से
फिर किसी के
मनाने का
इंतज़ार भी करती हो
तुम जानती हो
तुम मेरी धड़कन हो
तुम मेरी साँसों की वजह हो
हम इक दूसरे की
पलकों के ख्वाब हैं
कोई अपने ख्वाबों से
रूठता है भला
तुम्हारा ये अभिनय बेमानी है
वरना इस ठिठुरती रात के
जलते अलाव में
हौले से तुम्हारे लबों से निकला
माई लव का सम्बोधन
पिघल गया होता
सर्द सवेरे में
खिड़की के शीशे पर
जमी ओस की बूंदों पर
तुम्हारी अंगुली की पोर से बना
धड़कते दिल का चित्र
सूर्य रश्मियों की भेंट चढ़ गया होता
चलो
अपनी निगाहों के इंतज़ार को आराम दें
अपनी मुहब्बत को
आगोश का अंज़ाम दें
आओ इस शब् को
एक महकती पहचान दें
ख़्वाबों की हसीन शाम दें
ख़्वाबों की हसीन शाम दें ………

सुशील सरना


"मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2013 at 5:59pm

कोमल भावाभिव्यक्ति ने एक मनोरम वातावरण बनाया है, आदरणीय सुशीलजी.

सान्द्र आत्मीयता में पगे इन भावों के लिए हृदय से धन्यवाद..

हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by Sushil Sarna on November 27, 2013 at 3:02pm

Baidya Nath jee rachna par aapee aatmeey prashansa ka tahe dil se shukriya

Comment by Saarthi Baidyanath on November 27, 2013 at 1:50pm

अति सुन्दर भाव ..

खुद ही रूठ कर 
छुप जाती हो 
अपने ही आँचल में
झुकी नज़रों से 
फिर किसी के 
मनाने का 
इंतज़ार भी करती हो .....बधाई हो आदरणीय ..बहुत सुन्दर रचना के लिए 

Comment by Sushil Sarna on November 27, 2013 at 11:52am

aa.Vijay Nikore jee rachna par aapkee snehil pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by vijay nikore on November 27, 2013 at 6:40am

सुंदर भावाभि्व्यक्ति। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Sushil Sarna on November 26, 2013 at 5:56pm

aa.Dr.Prachi Singh jee rachna par aapkee snehabhivyakti ka haardik aabhaar


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 26, 2013 at 5:48pm

कोमल भावनाएं ! सुन्दर अभिव्यति !

हार्दिक शुभकामनाएं इस प्रस्तुति पर आ० सुशील सरना जी 

Comment by Sushil Sarna on November 22, 2013 at 8:58pm

aa.Meena Pathak jee, Arun Sharma 'Anant' jee, Shijju Shakoor saahib aap sabhee ka rachna ko apna sneh dene ka haardik aabhaar .....aapka sneh hee kalam kee takat hai...dhnayvaad

Comment by Meena Pathak on November 22, 2013 at 6:55pm

उम्दा प्रस्तुति आदरणीय !! ढेरों बधाई क़ुबूल करें 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 22, 2013 at 1:45pm

प्रेम रस में डूबी बहुत ही सुंदर रचना इन पंक्तियों हेतु विशेषतौर से बधाई प्रेषित है स्वीकार करें.

सर्द सवेरे में
खिड़की के शीशे पर
जमी ओस की बूंदों पर
तुम्हारी अंगुली की पोर से बना
धड़कते दिल का चित्र
सूर्य रश्मियों की भेंट चढ़ गया होता .. लाजवाब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service