For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इश्क जब होगा सनम को जमाल कर देंगे

गमजदा लोग ये ऐसा कमाल कर देंगे

इतना रोयेंगे के हँसना मुहाल कर देंगे

 

झूठ कहने में उन्हें इस कदर महारत है

के सजर को भी वो तो नौ निहाल कर देंगे

 

कैसे हैं आज के बच्चे कहें भी क्या उनको

इक जबाब आता नहीं सौ सवाल कर देंगे

 

है यकीं अपनी मुहब्बत पे इस कदर उनको

इश्क जब होगा सनम को जमाल कर देंगे

 

हैं हम आजाद हवा इन्कलाब लाने को

"दीप" को एक सुलगती मशाल कर देंगे

 

संदीप कुमार पटेल "दीप"

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 4:57am

आ0 संदीप भाई...... इस शानदार प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई.....

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 13, 2013 at 4:00pm

आदरणीय प्रिय मित्रवर वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 12, 2013 at 5:08pm

//हैं हम आजाद हवा इन्कलाब लाने को

"दीप" को एक सुलगती मशाल कर देंगे//वाह बहुत अच्छा

आदरणीय संदीप जी बेहतरीन ग़ज़ल है, एक बात और आप अपने तखल्लुस को बहुत खूबसूरती से इस्तेमाल करते हैं

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 12, 2013 at 4:57pm

बेहतरीन ग़ज़ल संदीप जी ..मेरी तरफ से ढेरों बधाई स्वीकारें ..सादर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 12, 2013 at 2:10pm

आदरणीय उमेश जी, आदरणीया सरिता जी , आदरणीय गोपाल जी, आदरणीय अन्नपूर्णा जी, आदरणीय गिरिराज सर, आदरणीय अरुण निगम सर आप सभी का ह्रदय तल से धन्यवाद स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये

आदरणीय गिरिराज सर मार्गदर्शन हेतु आभार ......सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 12, 2013 at 8:39am

दीप  जिस  दिन  जलती मशाल हो जाए

हल उस दिन जिंदगी का सवाल हो जाए 

धड़कने  लगे  दिल  सीने  में  पत्थरों के 

संदीप  ग़ज़ल  कहें   तो धमाल हो जाए

 

कैसे हैं आज के बच्चे कहें भी क्या उनको

इक जबाब आता नहीं सौ सवाल कर देंगे.......................वाह भाई वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 12, 2013 at 7:38am

आदरणीय सन्दीप भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , ढेरों दाद कुबूल करें !!!!

!!!! सजर को शजर कर लीजिये !!!!

Comment by annapurna bajpai on November 11, 2013 at 11:09pm

सुंदर गजल !! आ0 संदीप जी । 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 11, 2013 at 10:55pm

कोई दाद न देगा तो माँ कसम

सारी बस्ती में धमाल कर देंगे

Comment by Sarita Bhatia on November 11, 2013 at 8:34pm

बहुत खूब आदरणीय संदीप जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
12 minutes ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
37 minutes ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
41 minutes ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
43 minutes ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service