For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वंजर धरती को जोते हम

डाल उर्वरक हरा बनाये

सालों साल वृथा मिटटी जो

आज हँसे लहके लहराए !

 

कुंठित मन को कुंठा से भर

दुखी रहें क्यों हम अलसाये

कुंठित बीज हरी धरती में

कुंठित फसल भी ना ला पायें !

 

नाश करें खुद के संग धरती

वंजर  वृथा ह्रदय अकुलाये

जोश उर्जा क्षीण हो निशि दिन

ख़ुशी हंसी मन को खा जाए !

 

सहज सरल भी चुभें तीर सा

बिन बात बतंगड़ बनती जाए

घुन ज्यों अंतर करे खोखला

दिखता कुछ होता कुछ जाए !

हरे वृक्ष बन ठूंठ सडे कुछ

क्या जीवन , क्यों जीवन पाए ?

आओ तम से उबरें, भरें उजास -

ऊर्जा ! कूदें उछलें नाचें गायें !

 

हो आनंदित मन जब अपना

हो साकार तभी सब सपना

साधें लक्ष्य एकलव्य बन

अर्जुन भीष्म सा करें चित्त हम !

 

कुरुक्षेत्र हो या लंका रण

लिए सीख मन मन्त्र बढ़ें हम !

 

जित जाएँ उत राह बनायें

खुद तो चलें सभी बढ़ पायें

मिले हाथ से हाथ कदम तो

हो जय घोष विजयश्री आये !

----------------------------------

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ' भ्रमर ५'

प्रतापगढ़ उ प्र

(कुल्लू हिमाचल )

रचना -बरेली -मुरादाबाद मार्ग

३.-३. ४ ५ लौह पथ गामिनी में

२७ .० ७  -२ ० १ ३

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:25pm

जीवन की राहों में आगे बढने के लिए, मन में पनपने वाली कुंठा व जड़ता को उखाड़ फेंकना, आवश्यक है...

आदरणीया विनीता जी सत्य वचन आप के
रचना पर आप से प्रोत्साहन मिला ख़ुशी हुयी .आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:23pm

प्रिय गिरिराज जी स्वागत है आप पधारे और रचना पर आप से प्रोत्साहन मिला ख़ुशी हुयी .आभार 
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:19pm

प्रिय शिरोमणि जी रचना की प्रस्तुति और इसके भाव आप के मन को छू सके ख़ुशी हुयी .आभार रचना पर प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:19pm

प्रिय जितेन्द्र जी रचना के शब्द संयोजन आप को भाये ख़ुशी हुयी .आभार रचना पर प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:17pm

प्रिय अभिनव जी जिन पंक्तियों को आप ने सराहा वे बड़ी कारगर हैं और बदलाव लाने में सक्षम भी .आभार रचना पर प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:16pm

प्रिय अनंत जी समय बहुत कम मिल पाता है फिर भी आप सब की प्यारी रचनाओं का रसास्वादन करने पहुँचने की कोशिश करता हूँ ..आभार रचना पर प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:15pm

प्रिय केवल जी अपना स्नेह बरसाते रहें यों ही कुछ समय दे ...आभार रचना पर प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५

Comment by Vinita Shukla on August 23, 2013 at 1:48pm

"जित जाएँ उत राह बनायें

खुद तो चलें सभी बढ़ पायें

मिले हाथ से हाथ कदम तो

हो जय घोष विजयश्री आये !" सच है; जीवन की राहों में आगे बढने के लिए, मन में पनपने वाली कुंठा व जड़ता को उखाड़ फेंकना, आवश्यक है. बधाई भ्रमर जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2013 at 9:51am
एक प्रवाहमान रचना के लिये आपको दिल्री बधाई, सुरेन्द्र भाई !!!
Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:47pm

आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी, बहुत  सुन्दर प्रस्तुति बहुत बहुत बधाई स्वीकारे/////////

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
30 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service