For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

की बोर्ड से चिपका
स्क्रीन की सुंदरता से मुग्ध
हर सवाल का जबाब
चेट्टिंग से चेट्टिंग तक
मोबाइल से चीटिंग करते
झूठ से भरमाते
फिर भी मुस्कुराते
आँखें कान नाक
सब अंधे
जिनसे हमेशा
रिसता है
ज़हरीला  
फरेब
ऐसे रिश्ते

प्रेम की पराकाष्ठा है  
आज का प्रेम


संदीप पटेल "दीप"

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on July 20, 2013 at 10:29am
यह आधुनिक रासलीला है जिसका पुर्नविन्यास और कभी-कभी तो पूर्णाहुति भी डिस्को क्लब या ऐसे किसी सार्वजनिक स्थल पर हो जाता है . घृणित है आज का दौर जीवन संदर्भ चाहे कोई भी हो . सब तार-तार है , नीरस और बेकार है .सामयिक विषय और आज की फोक्ली युवा पीढ़ी पर सही आकलन . साधुवाद संदीपजी .
Comment by वेदिका on July 19, 2013 at 4:21pm

हाई टेक प्यार को परिभाषित किया आपने,,

सटीक परिभाषा !!

बधाई स्वीकारें आदरणीय संदीप भैया !! 

Comment by राज़ नवादवी on July 19, 2013 at 9:53am

मेरी राय में 'ऐसे रिश्ते  प्रेम की पराकाष्ठा है  आज का प्रेम' की जगह  'ऐसे रिसते  प्रेम की पराकाष्ठा है  आज का प्रेम' ज़्यादा संगत होता!!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 18, 2013 at 7:41pm

प्रेम की पराकाष्ठा है  
आज का प्रेम /फरेब - सही चिंतन आज के प्रेम प्यार पर, बधाई श्री संदीप भाई  -

फिर भी तो युवा है

प्रेम में लवरेज | 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2013 at 7:06pm

" सच कहा आपने ,आदरणीय..संदीप भाई जी,..आज के प्रेम की ऐसी ही कुछ परिभाषाएं हैं ! रचना प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई

Comment by annapurna bajpai on July 18, 2013 at 1:47pm

आदरणीय दीप जी बहुत सही बात काही आपने । बहुत बधाई आपको ।

Comment by Parveen Malik on July 18, 2013 at 10:19am

जो दीखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दीखता नहीं ... झूट फरेब का मिश्रण भी होता है ..

बहुत सही व्याख्यान ... बधाई !

Comment by coontee mukerji on July 17, 2013 at 7:58pm

शायद इसी को प्रगति कहते है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 17, 2013 at 7:15pm

मैकेनाइज्ड ज़माने में प्रेम के मैकेनाइज्ड रूप और फरेब पर सुन्दर अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई आ० संदीप जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service