For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर वन्दे |

ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 26 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | पिछले 25 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने 25 विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है | जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है |

इस आयोजन के अंतर्गत कोई एक विषय या एक शब्द के ऊपर रचनाकारों को अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करना होता है | इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक - 26
 

विषय -  हेमन्त ऋतु

आयोजन की अवधि-  8 दिसंबर दिन शनिवार से 10 दिसंबर दिन सोमवार तक

जैसा कि आप जानते ही हैं कि हेमन्त ऋतु (दिसम्बर-जनवरी) मार्गशीर्ष-पौष में आता है. शीत ऋतु दो भागों में विभक्त है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु का नाम दिया गया है और तीव्र तथा तीखे जाड़े को शिशिर। 

तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपनी कल्पना को हक़ीक़त का रूप | बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए | महा-उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है | साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं ।

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक

शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

अति आवश्यक सूचना : OBO लाइव महा उत्सव अंक- 26 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ ही दे सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा | यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 8 दिसंबर दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो  www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


महा उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन टीम)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 13497

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय निगम साहब, किसको पकडूँ किसको छोडूँ.....सभी दोहे कथ्य और शिल्प पर एक दम खरे हैं, हेमंत ऋतु को बिलकुल सटीक रूप से वर्णित करती दोहावली पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय |

 बनूँ निराला पन्त/arun bhi |1(itane bejod dohe ki arun banane ko ji chahe)

सरसों की अँगड़ाइयाँ, जलता देख बबूल |9|...is dohe ne kya  अँगड़ाइ li hai..arun bhai..wah.

आदरणीय अरुण भाईजी, आपके दोहे अत्यंत संदेशपरक तथा विधानुसार उत्कृष्ट हैं. मैं तो हतप्रभ हूँ कि यदि उपयुक्त समय होता तो इन दोहों की दशा और पहुँच क्या होती !!

भाईजी, आपके दोहों ने मन मोह लिया.

किन्तु, एक बात अवश्य, मेरी और अन्य पाठकों की इस उत्फुल्ल वाहवाही में मूल बात कहने से न मैं रह जाऊँ. निम्नलिखित दोहे में जो असीम संभावना है उसे उचित सहयोग नहीं मिल पाया, आदरणीय --

शाल गुलाबी ओढ़ कर, शीत दिखाती दन्त
शकुन्तला को ढूँढता , है मन का दुष्यन्त.. .  

आदरणीय भाईजी, इस दोहे का पहला और दूसरा चरण तीसरे और चौथे चरण के सामने कहीं ठहरते.  प्लीऽऽऽऽऽज़.. .

आदरणीय, दन्त मुझे भी खटक रहा है, फिर भी उपयुक्त समय न मिल पाने के कारण यूँ ही रख दिया.आपको दोहे पसंद आए , बस मेरी लेखनी धन्य हुई.

संचालक / एडमिन महोदय से निवेदन है कि मेरे दोहे में आंशिक परिवर्तन को स्वीकार करें

संशोधित दोहा इस प्रकार है:-

शाल गुलाबी ओढ़ कर, शरद बने हेमन्त
शकुन्तला को ढूँढता , है मन का दुष्यन्त. ||

कार्तिक अगहन पूस ले, आता जब हेमन्त
मन की चाहत सोचती, बनूँ निराला पन्त

वाह शुरुआत ही शानदार हर दोहा मन को छू लेने वाला है हार्दिक बधाई श्री अरुण जी !!

मौसम का ले लो मजा, शहरी चोला फेंक
चूल्हे  के अंगार  में , मूँगफल्लियाँ  सेंक .......

सही कहा आदरणीय निगम जी किसी भी मौसम का मजा तो गाँव में ही होता है विशेष रुप से हेमन्त....

सादर 

निगम जी, इतने स्वाद भरे मजेदार दोहे लिखने के लिये आपको बहुत बधाई....

आदरणीय अरुण निगम जी,

बहुत शानदार दोहावली लिखी है आपने, 

शकुंतला और दुष्यंत वाले दोहे पर तो पूरे दिल से वाह !

मौसम का ले लो मजा, शहरी चोला फेंक
चूल्हे  के अंगार  में , मूँगफल्लियाँ  सेंक |5|.....क्या मूँगफल्लियाँ , इस प्रकार से लिखा जा सकता है???? या "मूंगफली ले सेंक "ऐसे कहना उचित होगा??

मक्के की रोटी गरम ,  खाओ गुड़ के संग
फिर देखो कैसी जगे, तन मन मस्त तरंग |6|

गर्म  पराठे  कुरकुरे , मेथी  के  जब खायँ
चटनी लहसुन मिर्च की,भूले बिना बनायँ | 7|

गाजर का हलुवा कहे, ले लो सेहत स्वाद
हँसते रहना साल भर, मुझको करके याद |8|

 हर दोहे पर बस वाह लीजिये.... एपेटाइज़र के जैसे दोहे लग रहे है....पढ़ कर ही मन कर रहा है सारे पकवान बनाने का...

सादर बधाई इस हेमंत ऋतू की पूर्णता से सराबोर दोहावली के लिए.

हेमंत में खाने  के आलावा और कुछ क्यों नहीं आता.

हा हा हा हा ...........   सही प्रश्न सही ढंग से .. . .  :-)))))))))

 

आदरणीय प्रदीप जी,

आप काव्य-लहरियों पर झूमती पद्य-रचनाओं पर हुए प्रयास को दखें तो ही आपके प्रश्न का उचित समाधान मिल सकेगा. इस आयोजन में भी कतिपय रचनाकारों की रचनाएँ देखें जो काव्य-प्रयास में प्रकृति-सुषमा तथा पद्य-प्रयास में मानवीय दशाओं को बिम्बों के माध्यम से देखने के अनुरागी हैं.. .

सादर

जो आप चाहते हैं वह भी है ...........:-))))))))))))))

//कार्तिक अगहन पूस ले, आता जब हेमन्त
मन की चाहत सोचती, बनूँ निराला पन्त |1|//

बनें निराला पन्त हम, प्रतिदिन उनकी याद.

सृजन निराला नित्य हो, हेमंती हो स्वाद.. 


//शाल गुलाबी ओढ़ कर, शरद बने हेमन्त
शकुन्तला को ढूँढता , है मन का दुष्यन्त |2|//

बेहतरीन दोहा रचा, उत्तम आया चित्र.

हम तो इसमें खो गए, पुलकित मन है मित्र.


//कोहरा  रोके  रास्ता  ,  ओस  चूमती  देह
लिपट-चिपट शीतल पवन, जतलाती है नेह |3|//

जल्दी से घर भागिए, लग जायेगी ठंड.

खतरनाक यह प्रेयसी, मिल जाएगा दंड..


//ऊन बेचता हर गली , जलता हुआ अलाव
पवन अगहनी मांगती , औने - पौने भाव |4|//

बेहतरीन चित्रण किया, अति सुंदर हैं भाव.

अपने में सब मस्त हैं, सबका अलग स्वभाव..


//मौसम का ले लो मजा, शहरी चोला फेंक
चूल्हे  के अंगार  में , मूँगफल्लियाँ  सेंक |5|//

शहरी चोला फेंक कर, चलें गाँव की ओर.

सोंधी माटी गाँव की, वहाँ सुनहरी भोर.. 


//मक्के की रोटी गरम ,  खाओ गुड़ के संग
फिर देखो कैसी जगे, तन मन मस्त तरंग |6|//

मुँह में पानी आ गया, क्या रोटी का स्वाद.

पियें कटोरा दूध का, गुड़ खाने के बाद..  


//गर्म  पराठे  कुरकुरे , मेथी  के  जब खायँ
चटनी लहसुन मिर्च की, भूले बिना बनायँ | 7|//

गाजर का हलुवा कहे, ले लो सेहत स्वाद
हँसते रहना साल भर, मुझको करके याद |8|//

जय हो जय हो आपकी, भला दिलाया याद.

अब आया ऋतु का मजा, बेहतरीन है स्वाद..


//सीताफल हँसने लगा , खिले बेर के फूल
सरसों की अँगड़ाइयाँ, जलता देख बबूल |9|//

अति उत्तम चित्रण किया, मस्त हुए श्रीमंत.

प्रकृति चितेरे आप भी, अति हर्षित हैं पन्त..  


//भाँति भाँति के कंद ने, दिखलाया है रूप
इस मौसम भाती नहीं, किसे सुनहरी धूप |10|//

सत्य कहा हे मित्रवर, ऋतु का रूप अनूप.

भागे ठंडक देख जो, उगे सुनहरी धूप..


//मौसम  उर्जा  बाँटता ,  है  जीवन पर्यन्त
संचित तन मन में करो,सदा रहो बलवंत |11|//

संचय का सन्देश है, बहुत भला श्रीमंत.

मौसम बाँटे उर्जा, आया जो हेमंत..

_____________________________________

शानदार दोहे सभी, पढ़कर झूमें संत..

बहुत बधाई मित्रवर, परिभाषित हेमंत..

शेष सभी ने कह ही दिया है | सादर

_____________________________________

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
30 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
58 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service